पर्वत प्रदेश में पावस (प्रश्न उत्तर)

पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत प्रश्न. 1. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए । उत्तर

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पर्वत प्रदेश में पावस

पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत प्रश्न. पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’

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पर्वत प्रदेश में पावस

पर्वत प्रदेश में पावस – सुमित्रानंदन पंत धँस गए धरा में सभय शाल ! उठ रहा धुआँ, जल गया ताल

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पर्वत प्रदेश में पावस

पर्वत प्रदेश में पावस – सुमित्रानंदन पंत निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए: गिरि का गौरव गाकर झर-झर

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कविता : पर्वत प्रदेश में पावस

पर्वत प्रदेश में पावस – सुमित्रानंदन पंत कविता का सारांश ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ नामक कविता ‘वारिद’ से संकलित पंत जी

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काव्यांश

सुमित्रानंदन पंत की कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” से ली गई पंक्तियाँ निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त

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प्रश्न – मनुष्यता कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाएं।

उत्तर – श्री सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘मनुष्यता’ कविता में मानवता, एकता, सहानुभूति, सदभाव, उदारता और करुणा आदि के भाव

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