पर्वत प्रदेश में पावस


पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत


प्रश्न. पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर : वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में पल-पल प्रकृति का रूप बदलता रहता है। बादल अचानक पहाड़ों से इतने भयानक और विशाल आकार में गरजते हुए ऊपर उठते हैं कि जैसे कोई पहाड़ बादल-रूपी पंख फड़फड़ाकर आकाश में उड़ा रहा हो। थोड़ी ही देर में बादल इस तरह धरती पर बरस उठते हैं मानो आकाश ने धरती पर आक्रमण कर दिया हो। मूसलाधार बारिश के कारण सामने का दृश्य भी ओझल हो चुका था। केवल झरनों का स्वर सुनाई दे रहा था। उस समय शाल के पेड़ डर के मारे धरती में धँसे हुए प्रतीत होते हैं और तालाब से जलवाष्प रूपी धुआं उठने लगता है। उसमें तालाब जलता हुआ-सा प्रतीत होने लगता है।

प्रश्न. सुमित्रानंदन पंत ने ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की है और क्यों?

उत्तर : कवि ने तालाब की तुलना दर्पण से की है क्योंकि जिस प्रकार दर्पण में हमें अपना प्रतिबिम्ब देखने को मिलता है; उसी प्रकार स्वच्छ, निर्मल जल वाले तालाब रूपी दर्पण में पर्वत का महाकाय प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।

प्रश्न. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर पर्वत के रूप-स्वरूप का चित्रण कीजिए।

उत्तर : मेखलाकार पर्वत अर्थात पर्वत करघनी के आकार का है जिसके चरणों में एक पारदर्शी दर्पण रूपी ताल है। पर्वत अपना महाकार प्रतिबिम्ब ताल में निहारते हुए अपने सहस्त्र दृग रूपी सुमनों से निहारकर अचंभित हो रहा है। मोती की मालाओं के समान सुंदर झरने कल-कल की ध्वनि कर पर्वत के गुणगान गाते हुए प्रीत होते हैं। वर्षा होने पर पर्वत बादलों से घिर जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे पंख लगाकर उड़ गया हो, शाल के वृक्ष जमीन में धंसे हुए से प्रतीत होते हैं। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु का दृश्य अत्यंत रमणीय होता है।

प्रश्न. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ में गिरि का गौरव कौन गा रहा है और उत्तेजना का संचार वह कैसे कर पाता है?

उत्तर : ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में बताया गया है कि जब पहाड़ों पर वर्षा ऋतु में बादल बरसते हैं तब पर्वतों से प्रवाहित होने वाले झरने गिरि का गौरव गाते हुए पृथ्वी पर गिरते हैं और अपनी आवाज और गति से प्राणी की नस-नस में उत्तेजना का संचार करते हैं।

प्रश्न. बादलों के उठने तथा वर्षा होने का चित्रण ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर– वर्षा होने का चित्रण करते हुए कवि ने लिखा है कि बादल अचानक पहाड़ों से इतने भयानक और विशाल आकार में गरजते हुए ऊपर उठे कि जैसे कोई पहाड़ बादल-रूपी पंख फड़फड़ाकर आकाश में उड़ गया हो। थोड़ी ही देर में बादल इस तरह धरती पर बरस पड़े मानो आकाश ने धरती पर आक्रमण कर दिया हो। उस समय शाल के पेड़ डर के मारे धरती में धंस गए और तालाब से धुआं उठने लगा। यहाँ वर्षा होने का जीवंत चित्रण किया गया है।

प्रश्न. 7. वृक्ष आसमान की ओर चिंतित होकर क्यों देख रहे हैं? ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर लिखिए।

उत्तर : वृक्ष आसमान की ओर चिंतित होकर इसलिए देख रहे हैं क्योंकि वे महत्त्वाकांक्षाओं के प्रतीक हैं और उन्हें अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने की चिंता है। वे हमेशा आगे बढ़ने अर्थात ऊँचा उठने की कामना से व्यग्र रहते हैं।

प्रश्न. 8. ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ बताइए। इस शब्द रूप का प्रयोग यहाँ किसलिए किया गया है?

उत्तर : ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है – करघनी के आकार के पहाड़ की गोलाकार ढाल। कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ पर्वत और पर्वत मालाओं के सौंदर्य का वर्णन करने के लिए किया है। जब वर्षा ऋतु में पर्वतों के प्रकृति वेश में पल-पल जो परिवर्तन होता है, उसको बताने के लिए कवि ने इसका प्रयोग किया है।

प्रश्न. “सहस्र दृग-सुमन” का क्या अर्थ है? कविता में इसका प्रयोग किसलिए किया गया होगा?

उत्तर- “सहस्रदृग-सुमन” का अर्थ है – हजारों पुष्प रूपी आँखें। कवि ने इस पद का प्रयोग पर्वत की चोटियों पर खिलने वाले छोटे-छोटे फूलों के रूप को देखकर किया होगा। कवि को लगता है कि पर्वत अपने सहस्रों पुष्परूपी नेत्रों से तालाब में अपने रूप सौंदर्य को निहार रहा है।

प्रश्न. झरने किस तरह के दिखाई देते हैं और क्यों ?

उत्तर : कवि के अनुसार, बहते हुए झरने मोतियों की माला जैसे दिखाई देते हैं। पहाड़ों से गिरते झरने, जिनका जल सफेद झाग की तरह प्रतिबिंबित होता है, बहुत मनोरम लगते हैं। ऐसा लगता है कि पहाड़ों से नीचे, कोई मोतियों की माला गिरती जा रही हो।

प्रश्न. कौन-से दृश्य जादू के समान प्रतीत हो रहे हैं?

उत्तर : कवि कहता है कि बादल रूपी विमान में सवार इन्द्र आकाश में इस प्रकार घूम रहा है जैसे कोई जादूगर अपना खेल दिखा रहा हो। कहीं बादलों का समूह पहाड़ों को छिपा रहा है तो कहीं गहरे कोहरे के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि तालाब से धुआँ उठ रहा है। ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं।