लघुकथा : अनुशासन का महत्व


‘अनुशासन का महत्व’ विषय पर एक लघु कथा लिखिए।


मदन पिछले छह महीनों से सेठजी के यहाँ ड्राइवर की नौकरी कर रहा था। वह बहुत अनुशासन प्रिय तथा नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति था। अपनी इसी अनुशासन प्रियता के कारण वह प्राय: सिग्नल पर लाल बत्ती होने पर गाड़ी रोक देता था। जिससे उसका सेठ कई बार मीटिंग के लिए लेट हो जाता। मदन का सोचना था कि अगर समय पर पहुँचना है तो उसके सेठ को घर से जल्दी निकलना चाहिए। लेकिन वह सेठजी से यह कह नहीं सकता था।

मदन की नौकरी खतरे में थी। सेठ जी दूसरा ड्राइवर तलाश कर रहे थे, मगर मदन को इसका कोई अफसोस नहीं था। उसकी नौकरी के आखिरी दिन थे। एक दिन वह सेठ जी को लेकर मीटिंग के लिए निकला। चौराहे पर लगे सिग्नल पर लाल बत्ती जलते ही मदन ने कार रोक दी।

“मदन मैं मीटिंग के लिए लेट हो जाऊँगा। गाड़ी चलाओ।” मदन के सेठ ने घड़ी देखते हुए मदन से कहा।

“लेकिन सेठ जी अभी रेड लाइट है।”

“रेड लाइट है तो क्या हुआ ?”

अभी सेठजी ने इतना ही कहा था कि उनके बगल से निकलकर एक कार जैसे ही लालबत्ती के उस पार गई। दूसरी तरफ से आते ट्रक से उसकी जोरदार भिड़ंत हो गई। अगर मदन ने कार आगे बढ़ाई होती तो उस ट्रक की चपेट में उनकी ही कार आती। अपनी आँखों के सामने यह घटना देखकर सेठजी सदमे में आ गए।

उसके बाद पूरे रास्ते मदन ने “कहाँ गाड़ी रोकी, कैसे चलाई ?” सेठजी ने कुछ नहीं कहा। अब उन्हें नियमों व अनुशासन का महत्त्व समझ आ गया था।

मीटिंग से वापिस लौटते समय उन्होंने मदन का आभार व्यक्त किया और उसे नौकरी से भी न हटाने का फैसला किया।

सीख – आत्म-अनुशासन हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।