रचना के आधार पर वाक्य भेद
रचना के आधार पर वाक्य के मुख्य तीन भेद हैं।
1. सरल या साधारण वाक्य
2. संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य
3. जटिल या मिश्र वाक्य
1. सरल या साधारण वाक्य (Simple Sentence) – जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उसे ‘सरल या साधारण वाक्य’ कहा जाता है; जैसे :
(क) राम बाज़ार जा रहा है।
(ख) वह पुस्तक पढ़ रहा है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘राम’ तथा ‘पुस्तक’ कर्ता हैं तथा ‘जा रहा है’ तथा ‘पढ़ रहा है’ क्रिया हैं। एक ही कर्ता तथा एक ही क्रिया होने के कारण ये सरल वाक्य हैं।
सरल वाक्य में कर्ता और क्रिया के अलावा कर्म तथा उनके पूरक भी सम्मिलित किए जा सकते हैं।
1. राहुल पढ़ा। (कर्ता-क्रिया)
2. राहुल पढ़ रहा है। (कर्ता-क्रिया-विस्तार)
3. पड़ोस में रहने वाला राहुल पढ़ रहा है। (विस्तार कर्ता- क्रिया-विस्तार)
4. राहुल ने पुस्तक पढ़ी। (कर्ता-कर्म-क्रिया)
5. राहुल ने मित्र को पुस्तक दी। (कर्ता-कर्म-कर्म क्रिया)
6. राहुल ने अपने प्रिय मित्र को कहानी की पुस्तक दी। (कर्ता-कर्म का विस्तार, कर्म-कर्म का विस्तार-कर्म-क्रिया)
2. संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य (Compound Sentence) – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल अथवा मिश्र वाक्य योजकों द्वारा जुड़े हों, उन्हें ‘संयुक्त वाक्य या यौगिक वाक्य’ कहते हैं। संयोजक द्वारा जुड़े रहने पर भी प्रत्येक वाक्य अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखता है और एक-दूसरे पर आश्रित नहीं रहता। ये ‘समानाधिकरण वाक्य’ कहलाते हैं। इसमें समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग संयोजक रूप में, विभाजक रूप में, विरोधदर्शक रूप में और परिणामबोधक रूप में होता है; जैसे :
(क) कंडक्टर ने सीटी बजाई और बस चल पड़ी। (संयोजक)
(ख) आप पहले आराम करेंगे या आप के लिए खाना ले आऊँ। (विभाजक)
(ग) मैं आप का काम अवश्य कर देता लेकिन क्या करूँ व्यस्त हूँ। (विरोधदर्शक)
(घ) उसने बहुत मेहनत की थी इसलिए वह कक्षा में प्रथम आया। (परिणामबोधक)
3. जटिल या मिश्र वाक्य (Complex Sentence) – जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के साथ एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य जुड़े हों तो, उसे ‘जटिल या मिश्र वाक्य’ कहा जाता है; जैसे :
(क) वह कौन-सा क्षेत्र है जहाँ महिलाओं ने अपना कदम नहीं रखा?
(ख) गहन से गहन संकट हो फिर भी वह हँसता रहता है।
उपवाक्य
मिश्र वाक्य में आश्रित उपवाक्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
(क) संज्ञा उपवाक्य
(ख) विशेषण उपवाक्य
(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(क) संज्ञा उपवाक्य – जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक के रूप में प्रयुक्त होता है, उसे ‘संज्ञा उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे :
राजू ने कहा कि वह कल मुंबई जा रहा है।
इस वाक्य में ‘वह कल मुंबई जा रहा है’ वाक्य संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य बहुधा प्रधान उपवाक्य से ‘कि’ योजक द्वारा जुड़े होते हैं।
(ख) विशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य अपने प्रधान वाक्य की किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है. उसे ‘विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं; जैसे
वही व्यक्ति उन्नति करता है जो परिश्रमी होता है।
इस वाक्य में ‘जो परिश्रमी होता है’ वाक्य, पहले उपवाक्य ‘व्यक्ति’ का विशेषण होने के कारण, विशेषण उपवाक्य है। विशेषण उपवाक्य प्राय: संबंधवाचक सर्वनाम ‘जो’ और उसके विभिन्न रूपों (जिसके, जिन्होंने, जिससे, जिसने, जिन, जिसके लिए आदि) तथा संबंधवाचक क्रियाविशेषण (जहाँ, जितना, जैसे, अब आदि) के द्वारा प्रधान उपवाक्य से जुड़े होते हैं।
(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया विशेषण बनकर आता है, वह क्रियाविशेषण उपवाक्य कहलाता है; जैसे : जब तुम मेरे घर आए तब मैं घर पर नहीं था।
इस वाक्य में ‘मैं घर पर नहीं था’ मुख्य उपवाक्य है तथा ‘जब तुम मेरे घर आए’ क्रियाविशेषण उपवाक्य है। इसके पाँच भेद होते हैं :
1. कालसूचक उपवाक्य – जब मैं घर पहुँचा तब वर्षा हो रही थी।
ज्योंहि मैं स्कूल से बाहर आया, खेल आरंभ हो गया।
2. स्थानवाचक उपवाक्य – जहाँ तुम रहते हो, मैं भी वहीं रहता हूँ ।
जिधर हम जा रहे हैं, उधर आज कोई नहीं गया।
3. रीतिवाचक उपवाक्य – आपको वैसे करना चाहिए, जैसे मैं कहता हूँ ।
बच्चे वैसे करते हैं, जैसे उन्हें सिखाया जाता है।
4. परिमाणवाचक उपवाक्य – उसने जितना परिश्रम किया, उतना ही अच्छा परिणाम मिला।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे धूप में खड़े रहना कठिन हो जाएगा।
5. परिणाम अथवा हेतुसूचक उपवाक्य – यदि वर्षा अच्छी होती तो उपज बढ़ जाती।
वह ज़रूर परिश्रम करेगा ताकि अच्छे अंक ले सके।
वह इसलिए आएगा ताकि आपसे बात कर सके।
वाक्य-संश्लेषण
संश्लेषण का शाब्दिक अर्थ है ‘मिलाना’। अनेक वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाना ही संश्लेषण कहलाता है। वाक्य-संश्लेषण वाक्य विश्लेषण का विपरीतार्थक है। वाक्य विश्लेषण में हम सुगठित वाक्य को खंड-खंड कर समझते हैं तथा वाक्य संश्लेषण में हम खंड – खंड वाक्यों को जोड़कर एक सरल वाक्य में परिवर्तित करते हैं।
वाक्य-संश्लेषण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को ध्यान में रखना आवश्यक है:
1. सभी वाक्यों में से मुख्य क्रिया को चुनना।
2. शेष वाक्यों में से पद या पदबंध बनाना।
3. पूर्वकालिक क्रिया का प्रयोग करना।
4. उपसर्ग या प्रत्यय के योग से नए शब्द का निर्माण करना।
5. वाक्यों के केंद्रीय भाव को बरकरार रखना।
उदाहरण:
1. राहुल मेरा मित्र है।
वह मेरे कमरे में आया।
वह मेरी किताब उठाकर ले गया।
वाक्य-संश्लेषण : मेरा मित्र राहुल मेरे कमरे में आकर मेरी किताब उठाकर ले गया।
2. वह बाज़ार गया।
उसने केले खरीदे।
उसने अपने बच्चों को केले दिए।
वाक्य-संश्लेषण : उसने बाज़ार से केले खरीदकर अपने बच्चों को दिए।
3. मैंने एक व्यक्ति को देखा।
वह बहुत दुबला-पतला था।
वह सड़क पर सो रहा था।
वाक्य-संश्लेषण : मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को सड़क पर सोते देखा ।
4. मैं अकेला था।
चार गुंडों ने मुझे बहुत पीटा।
उन्होंने मुझे सड़क के किनारे फेंक दिया।
वाक्य-संश्लेषण : मुझे अकेले चार गुंडों ने पीटकर सड़क के किनारे फेंक दिया।
वाक्य-संश्लेषण में एक से अधिक सरल वाक्यों को एक सरल, एक संयुक्त तथा एक मिश्र वाक्य में संश्लिष्ट किया जाता है। उदाहरण :
1. वह मुंबई गया।
उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।
सरल वाक्य – मुंबई जाकर उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।
संयुक्त वाक्य – वह मुंबई गया और उसने वहाँ जाकर नया व्यापार शुरू किया।
मिश्र वाक्य – जब वह मुंबई गया, तब उसने वहाँ नया व्यापार शुरू किया।
2. आज बहुत वर्षा हुई।
आज की वर्षा से बाढ़ आ गई।
सरल वाक्य – आज की मूसलाधार वर्षा से बाढ़ आ गई।
संयुक्त वाक्य – आज बहुत वर्षा हुई और कारण बाढ़ आ गई।
मिश्र वाक्य – चूँकि आज मूसलाधार वर्षा हुई, अतः बाढ़ आ गई।
3. दो दिन वह गाँव में रहा।
वह सबका प्रिय हो गया।
सरल वाक्य – वह दो दिन गाँव में रहकर सबका प्रिय हो गया।
संयुक्त वाक्य – वह दो दिन गाँव में रहा और सबका प्रिय हो गया।
मिश्र वाक्य – जब वह दो दिन गाँव में रहा, तब वह सबका प्रिय हो गया।