‘मनुष्यता’ और ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुखी होने वाले
प्रश्न . ‘मनुष्यता’ कविता और ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ का केंद्रीय भाव एक ही
Read moreप्रश्न . ‘मनुष्यता’ कविता और ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ का केंद्रीय भाव एक ही
Read moreउत्तर – श्री सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘मनुष्यता’ कविता में मानवता, एकता, सहानुभूति, सदभाव, उदारता और करुणा आदि के भाव
Read more