‘हेयम् दुखम् अनागतम’, अर्थात दुख आने से पहले ही उसे रोक देना चाहिए।

ताकत या बुद्धिमानी से ज्यादा सतत प्रयास ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है। उड़ने की क्षमता पर

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