‘हेयम् दुखम् अनागतम’, अर्थात दुख आने से पहले ही उसे रोक देना चाहिए।

  • ताकत या बुद्धिमानी से ज्यादा सतत प्रयास ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है।
  • उड़ने की क्षमता पर संदेह करते ही आप हमेशा के लिए ऐसा करने की क्षमता खो देते हैं।
  • बुरा व्यक्ति उस समय और भी बुरा हो जाता है, जब वह अच्छा होने का ढोंग करता है।
  • बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उससे अधिक वह स्वयं बनाता है।
  • जो नए सुधारों पर अमल नहीं करेगा, वह नए खतरों को न्यौता देगा।
  • हम स्वभाव के मुताबिक सोचते हैं, कायदे के मुताबिक बोलते हैं और रिवाज के मुताबिक आचरण करते हैं।
  • प्रतिशोध लेते समय मनुष्य अपने शत्रु के समान ही होता है, लेकिन उसकी उपेक्षा कर देने पर वह उससे बड़ा हो जाता है।
  • आप जो भी करते हैं, वह कम अहम या कम जरूरी हो सकता है, जरूरी यह है कि आप कुछ करें
  • ‘हेयम् दुखम् अनागतम’, अर्थात दुख आने से पहले ही उसे रोक देना चाहिए। योग के प्रणेता बी. के. एस. आयंगर ने कहा है कि शरीर मेरा मंदिर है और आसन मेरी प्रार्थना। आखिरकार शरीर ही हमारी असली पूंजी है, जो ताउम्र हमारे साथ रहती है।
  • जो आपसे ज्यादा जानते हैं, उनसे सीखिए और कम जानने वालों को सिखाईये।