‘मदार’, ‘इरुक्कु’ या ‘आक के पत्तों’ का आत्मा की मुक्ति में प्रयोग

महाभारत के युद्ध का दसवां दिन दिन था और कौरव सेना के सेनापति भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेटे

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