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हमारे बुजुर्ग : हमारी धरोहर


बुजुर्गों का परिवार में महत्त्व – परिवार के वृद्धों को बुजुर्ग कहा जाता है। वे परिवार के लिए पेड़ के समान होते हैं जिसकी शीतल छाया में हम सुकून पाते हैं। हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं। बुजुर्गों की आयु और उनके अनुभव परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक होते हैं।

बुजुर्गों के दायित्व – यह बात सौ प्रतिशत सही है कि इनकी आवश्यकता परिवार को कदम-कदम पर पड़ती है। बुजुर्गों की उपस्थिति में परिवार के अन्य सदस्यों को चिन्ता या तनाव नहीं रहता। हमारा देश सदियों से संयुक्त परिवारों की परम्परा को महत्त्व देता आ रहा है। विभिन्न रिवाजों, विभिन्न परम्पराओं की जानकारी हमें अपने बुजुर्गों से ही मिलती है।

बुजुर्गों की वर्तमान भयावह स्थिति – लेकिन आज की आधुनिक समस्या – नगरों के बढ़ते आकार तथा सिकुड़ते घरों ने बुजुर्गों को उनके हाल पर अकेले रहकर ही जीने के लिए विवश कर दिया है। युवा पीढ़ी भौतिक सुखों तथा अपने सपनों को साकार करने के लिए दौड़ रही है। इसलिए आज का युवा बुजुर्गों को घर की शान, मान तथा अनमोल धरोहर समझने की बजाय उन्हें भार समझने लगा है तथा उनसे कटने लगा है। यह गलत है।

बुजुर्गों के प्रति सोच में बदलाव – बुजुर्गों का आत्मीयता से भरा साथ, गरमाहट भरा एहसास, अनुभवों का संचार, अनुभवी दृष्टकोण का विस्तार आदि परिवारों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं। अंत में हम यही कहना चाहेंगे कि –

भौतिकवादिता की चपेट में बुजुर्गों को न खोना ।
बुजुर्गों से अपनापन रखो, यही है संस्कारों का सोना ॥