सार लेखन (Precis Writing)


शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग करना सिखाती है। वह शिक्षा जो मनुष्य को पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त कुछ गंभीर चिंतन न दे, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती तो उससे क्या लाभ? सहृदय, सच्चा; परंतु अनपढ़ मजदूर उस स्नातक से कहीं अच्छा है, जो निर्दय और चरित्रहीन है। हमारे कुछ अधिकार और दायित्व भी हैं। शिक्षित व्यक्ति को उत्तरदायित्वों का भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए, जितना कि अधिकारों का।


प्रश्न : (क) उपर्युक्त गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।

(ख) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

उत्तर : (क) सार : शिक्षा का वास्तविक लक्ष्य है – मानवीय देह और मस्तिष्क का सदुपयोग, ताकि मानव गंभीर चिंतन कर सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र नागरिक बन सके। सुशिक्षित को अधिकार और कर्त्तव्य का सदैव ध्यान रखना चाहिए।

(ख) शीर्षक: शिक्षा का उद्देश्य