नवरात्र : नौ दिन करें इन मंत्रों का जाप


ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥

अर्थात, यह मंत्र दुर्गासप्तशति का है। इसका अर्थ है ‘नारायणी, तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो, कल्याणदायिनी शिवा हो, सब पुरुषार्थों को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। हे मां दुर्गा, आपके श्री चरणों में नमस्कार है। सब प्रकार के मंगल करने वाली मंगलमयी माता आप कल्याणकारी एवं सब मनोरथों को पूरा करने वाली हो (अर्थात सदबुद्धि देने वाली हो)। हे मां गौरी, आप शरण ग्रहण करने योग्य एवम त्रिकालदर्शी हो। हे नारायणी (जो सब में व्याप्त हैं) आपको नमस्कार है।’


या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थात, जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।


अध्यात्ममधिदैवञ्च देवानां सम्यगीश्वरी।

प्रत्यगास्ते वदन्ती या सा मां पातु सरस्वती ॥

अर्थात, जो देवताओं का अध्यात्म और अधिदैव हैं- जो देवताओं की आध्यात्मिकी शक्ति हैं और आधिदैविकी शक्ति हैं, सब देवताओं अथवा सब शक्तियों को जो अन्तर्यामी रूप से प्रेरण करती हैं (अर्थात प्रणव की प्रेरणा से ही सब कार्य किया करती हैं) वही सरस्वती देवी हमारा पालन करें।


यह मंत्र ज्ञान पिपासुओं के लिए उत्तम हैं