कविता : आपस में रखें मेल


आपस में रखें मेल


आओ बच्चो खेलें खेल

आपस में रखें मेल

जाति-पाँति, ऊँच-नीच का

मिटा दो हर भेद

हममें न कोई ऊँचा-नीचा

नहीं जाति-पाँति का भेद

सब हैं एक ही भारत माता के पहरेदार

न होने दो षड्यंत्र का शिकार

क्यों आपस में लड़ रहे हो

छोटी-छोटी बातों पर अड़ रहे हो

कुछ लोग तुम्हें लड़ाना चाहते हैं

देश को टुकड़े-टुकड़े में,

बिखेरना चाहते हैं

ये है उन लोगों की चाल

जिसे अखरता है

भारत की खुशहाली का राज।


संजय