अनुच्छेद लेखन : विद्यार्थी और अनुशासन


विद्यार्थी और अनुशासन


अनुशासन का अर्थ है-आत्मानुशासन अर्थात् स्वत: प्रेरणा से शासित होना। प्रकृति का समस्त कार्य-व्यापार अनुशासन की सूचना देता है। नियमित जीवन जीने का प्रयत्न ही अनुशासन है। अनुशासन किसी वर्ग या आयु विशेष के लोगों के लिए ही नहीं, अपितु सभी के लिए परम आवश्यक होता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। जो विद्यार्थी जीवन में उचित अनुशासन में रहकर समय व्यतीत करता है, उसका जीवन-क्रम एक ऐसे व्यवस्थित तथा सफल मार्ग पर चलने का अभ्यस्त हो जाता है कि वह विद्यार्थी जीवन में सफलता और सम्मान तो पाता ही है, भविष्य के लिए मार्ग निर्धारण में भी सफल होता है। अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में व्यवस्था का वातावरण बनाता है। इससे नियमित रूप से कार्य करने की क्षमता का विकास होता है। अनुशासन द्वारा कर्त्तव्य और अधिकार का समुचित ज्ञान होता है। यह एक ऐसा गुण है जिससे मनुष्य सर्वप्रिय बन जाता है। वास्तव में विद्यार्थियों के लिए अनुशासन एक महत्त्वपूर्ण जीवन-मूल्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी का जीवन शून्य बन जाता है। अपने भावी जीवन को आनंदमय बनाने के लिए विद्यार्थियों के लिए यह अति आवश्यक है कि वे अनुशासन में रहें। अनुशासन और सफलता का बड़ा घनिष्ठ संबंध है। जहाँ अनुशासन है, वहीं सफलता है और जहाँ अनुशासनहीनता है, वहाँ असफलता है।