कविता – कर चले हम फ़िदा
कर चले हम फ़िदा – सार
‘कर चले हम फिदा’ ‘हकीकत’ फिल्म का कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित मशहूर गीत है। इसमें सैनिकों के बलिदान की गौरव गाथा है। इसका सार इस प्रकार है-
सैनिक अपने अन्य साथियों से कहता है कि हम तो अपने देश की रक्षा करते हुए उस पर कुर्बान हो गए हैं। अब इस देश की रक्षा का दायित्व तुम्हारा है। हमने आखिरी साँस तक हिमालय का सिर झुकने नहीं दिया। देश के लिए बलिदान होने का अवसर रोज-रोज नहीं आता। यह सौभाग्य की बात है कि आज देश की धरती की रक्षा के लिए शत्रुओं का लहू बहाना है। कुर्बानियों की जो राह हमने बनाई है वह आगे भी बनी रहे, इसके लिए तुम स्वयं को तैयार रखना। आज आर-पार की लड़ाई का समय है तुम बलिदान देने को तैयार रहना।
साथियो ! तुम अपने खून से धरती पर लकीर खींच कर कह दो कि लकीर के पार कोई भी रावण नहीं आ पाएगा। यदि कोई हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठे तो तुम उसे काट डालना किंतु भारतमाता रूपी सीता का दामन मैला न होने देना। तुम्हीं देश रूपी सीता के लिए राम हो, तुम्हीं लक्ष्मण हो। अब यह देश तुम्हारे हवाले है। इसकी रक्षा करना।