पिता जी को पत्र
आपकी किसी गलती की वजह से आपके पिताजी आपसे नाराज हैं। छात्रावास से अपने रुष्ट पिताजी से क्षमा-याचना का पत्र लिखिए।
छात्रावास
रामजस स्कूल, दरियागंज
नई दिल्ली।
15 फरवरी, 20XX
पूजनीय पिताजी,
सादर प्रणाम।
पिताजी मैं यह जानता हूँ कि आप मुझसे बेहद नाराज़ हैं। यही कारण है कि मैं आपको पत्र लिखने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। मैंने आपसे झूठ बोला और आपके विश्वास को चोट पहुँचाई, इसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। यह अपराध-बोध मुझे रात भर सताता रहा है। आप से क्षमा-याचना करके मन हल्का कर लूँ, इसी इच्छा से मैं आपको पत्र लिखने बैठा हूँ। मुझे उम्मीद है कि मेरा यह पत्र पढ़कर आप मुझे अवश्य क्षमा कर देंगे।
पिताजी मैंने पुस्तकें मँगवाने की बात लिखकर आपसे दो हजार रुपए मँगवाए थे और आपने भेज भी दिए थे। वास्तव में मैंने आपसे झूठ बोला था। मुझे विद्यालय की ओर से आयोजित श्रीनगर की शैक्षिक यात्रा पर जाना था। मेरे सभी मित्रों ने मुझसे बहुत आग्रह किया था और एक मित्र के कहने पर मैंने यह बड़ा झूठ आप से बोला। मेरा यह सोचना था कि आप मुझे श्रीनगर जाने की इजाजत नहीं देंगे, सो जोश में होश खो बैठा था। अतः मैंने खुद आपसे यह सच बता दिया था। जिसके बाद आपने बात न करने का निर्णय किया।
मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे क्षमा करें। मुझे अपने किए पर पछतावा है। आप जो चाहे सजा दें। मैं आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा। कृपया मुझे माफ कर दें।
मां को चरण स्पर्श। भैया को सादर नमस्कार।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
रमेश