CBSEclass 7 Hindi (हिंदी)EducationHindi GrammarNCERT class 10thParagraphPunjab School Education Board(PSEB)अनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : स्वावलंबन


स्वावलंबन


स्वावलंबन सफलता की कुंजी है। स्वावलंबी व्यक्ति जीवन में यश और धन दोनों अर्जित करता है। दूसरे के सहारे जीने वाला व्यक्ति तिरस्कार का पात्र बनता है। निरंतर निरादर और तिरस्कार पाता हुआ वह अपने-आप में हीन भावना से ग्रस्त होने लगता है। जीवन का यह तथ्य व्यक्ति के जीवन पर ही नहीं, वरन समस्त मानव जाति व राष्ट्र पर भी लागू होता है। यही कारण है कि स्वाधीनता संघर्ष के दौरान गाँधीजी ने देशवासियों में जातीय गौरव का भाव जगाने हेतु स्वावलंबन का संदेश दिया था। चरखा-आंदोलन और डांडी कूच इस दिशा में गाँधीजी के बड़े प्रभावी कदम सिद्ध हुए। स्वावलंबन के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति, जाति, समाज अथवा राष्ट्र उत्कर्ष को प्राप्त होते हैं। स्वावलंबी व्यक्ति ही वास्तव में जान पाता है कि दुख अथवा पीड़ा क्या होती है और सुख-सुविधा का क्या मूल्य एवं महत्त्व, कितना आनंद और आत्मसंतोष हुआ करता है। संसार और समाज में व्यक्ति का क्या मूल्य या महत्त्व होता है, मान-सम्मान किसे कहते हैं, अपमान की पीड़ा क्या होती है, अभाव किस तरह से व्यक्ति को मर्माहत किया करते हैं। इस प्रकार की बातों का यथार्थ भी वास्तव में आत्मनिर्भर व्यक्ति ही जान-समझ सकता है। परावलंबी को तो हमेशा मान-अपमान की चिंता त्यागकर, हीनता के बोध से परे रहकर, इस तरह व्यक्ति होते हुए भी व्यक्तित्वहीन बनकर जीवन गुजारना पड़ता है। वास्तविकता यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने को दीन-हीन बनाए रखना नहीं चाहता। एक कवि के शब्दों में :

स्वावलंबन की एक झलक पर न्योछावर कुबेर का कोष।’