कविता : माँ
माँ पर कविता कैसे लिखूँ? लिख सकती हूँ इस संसार के कण-कण पर अतीत की गाथा पर लिख सकती हूँ,
Read moreमाँ पर कविता कैसे लिखूँ? लिख सकती हूँ इस संसार के कण-कण पर अतीत की गाथा पर लिख सकती हूँ,
Read moreमाँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है माँ, माँ-माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है, माँ, माँ जीवन के
Read moreमाँ एक रूप अनेक तपते मरु में राहत देती माँ बरगद की छाँव है। दरिया से उफनते जीवन में माँ,
Read moreसूरज-चाँद धरती पर लिख सकती हूँ पर माँ पर नहीं लिख सकती कविता माँ के लिए संभव नहीं होगी मुझसे
Read moreमाँ तू महान, तुझ पर मैं कुर्बान तू आँगन में किलकारी, माँ ममता की तुम फुलवारी। सब पर छिड़के जान,
Read moreजो माँ की ना सुनेगा माँ को जो प्यार करें, वो लोग निराले होते हैं जिसे माँ का आशीर्वाद मिले,
Read moreमाँ – मेरे लिए खास एक ऐसी रचना जो सब पर भारी है, उसी की सृष्टि ये दुनिया सारी है,
Read moreऐ माँ तू ममता की मूरत है, तू रचइता इस जग की है, तू हम सब की जरूरत है ऐ
Read moreमाँ तुम बिल्कुल माँ जैसी हो माँ “तेरे हाथों की करामात की तो बात ही क्या “माँ” मुझको तो तेरे
Read moreतू कैसा बेटा है? जब तू छोटा था, तब माँ की शय्या गीली करता था। अब तू बड़ा हो गया,
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