अपने लक्ष्य का पीछा तब तक करना चाहिए, जब तक उसे हासिल न कर लिया जाए

एक बार स्वामी विवेकानंद अपने पालतू कुत्ते के साथ आश्रम में टहल रहे थे। अचानक एक युवक उनके पास आया

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