कविता : मेरा सपना – मानवता ही धर्म हो अपना

मेरा सपना – मानवता ही धर्म हो अपना जहाँ सांप्रदायिकता व बैर ना होगा जहाँ आडंबर व दिखावा ना होगा

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पठित काव्यांश

पठित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : फल-फूलों से लद्कर जैसे, पेड़ सदा ही झुक जाते

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पद्यांश

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए: बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों अब

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