ਕਵਿਤਾ : ਅਜ਼ਾਦੀ
ਅਜ਼ਾਦੀ : ਡਾ. ਗੁਰਮਿੰਦਰ ਸਿੱਧ ਕੀ ਹੋਇਆ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ, ਕੀ ਹੋਇਆ ਚੁੰਨੀ ਲੀਰੋ-ਲੀਰ ਹੋ ਗਈ। ਰੰਗੀ ਜਿਹੜੀ ਸ਼ਹੀਦਾਂ
Read Moreਅਜ਼ਾਦੀ : ਡਾ. ਗੁਰਮਿੰਦਰ ਸਿੱਧ ਕੀ ਹੋਇਆ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ, ਕੀ ਹੋਇਆ ਚੁੰਨੀ ਲੀਰੋ-ਲੀਰ ਹੋ ਗਈ। ਰੰਗੀ ਜਿਹੜੀ ਸ਼ਹੀਦਾਂ
Read Moreसब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती – हरिवंशराय बच्चन पृथ्वी पर भी नीला सागर, पृथ्वी पर भी धरती उर्वर, पृथ्वी पर
Read Moreतीन पैर का पंखा है । नहीं कहीं भी जाता है । खड़ा वहीं पर रहता है । पर ज़ोर-ज़ोर
Read Moreनदी किनारे बैठा मेंढक। टर्र-टर; टर्र-टर करता मेंढक। उछल-उछल कर चलता मेंढक । देख सभी को डरता मेंढक। किसी को
Read Moreलंबी गर्दन छोटी पूँछ, रेगिस्तान का देखो ऊँट। लंबी-लंबी टाँगें उठाता, रेत के ऊपर दौड़ता जाता। कई-कई दिन नहीं पानी
Read Moreचन्दा मामा दूर के। पुए लाए दूर से। आप खाएँ थाली में । मुन्ने को दे प्याली में । प्याली
Read Moreअक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो । कान पकड़कर अब मत रो । अस्सी नब्बे पूरे सौ । कर ले अब तू चाहे
Read Moreबाल कविता : सपना मुझको निन्दिया आती है। सपने भी दे जाती है। सपने में कोई आती है। सुंदर परी
Read Moreपूसी बिल्ली खीर है खाती । लप-लप; लप-लप जीभ हिलाती । सारी खीर खत्म हो जाती । तब मूछों पर
Read Moreआम फलों का राजा है, देखो कितना ताजा है । रंग है इसका पीला-पीला, शौक से खाती प्यारी शीला ।
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