काव्यांश / पद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-
रहो न भूलकर कभी मदांध तुच्छ चित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
प्रश्न 1. काव्यांश में मदांध शब्द का क्या अर्थ है ?
प्रश्न 2. मानव को किसका गर्व नहीं करना चाहिए?
प्रश्न 3. यहाँ कोई भी अनाथ नहीं है क्योंकि…….
प्रश्न 4. कवि के अनुसार भाग्यहीन कौन है?