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बाल गीत – पिंजरे का पंछी

पिंजरे का पंछी

कितना विवश और लाचार,

पिंजरे का यह बंदी तोता।

नील गगन में उड़ता फिरता,

अगर कहीं बागों में होता।

भूल गया है अपनी भाषा,

भूल गया वह सुख का धाम।

दिन भर केवल रटता रहता,

राम – राम या राधे -श्याम।