CBSEअनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : मेरे जीवन का लक्ष्य


लक्ष्यहीन मनुष्य जिंदगी में कभी भी सार्थक कार्य नहीं कर सकता। मनुष्य विवेकशील और विकासशील होता है। उसे हमेशा महत्त्वाकांक्षी होना चाहिए और जिंदगी के लिए निश्चित मकसद अवश्य निर्धारित करना चाहिए। एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद मनुष्य कभी भी अपनी राह से भटकता नहीं हैं। लक्ष्यहीन मनुष्य का जीवन पशु के समान ही है। महाभारतकालीन योद्धा अर्जुन ने तो जल में देखकर मछली की आँख में अपने तीर से निशान साध लिया था। चाणक्य ने अपने राज्य में सुशासन लाने का लक्ष्य पूरा किया था। महात्मा गाँधी और शहीद भगतसिंह जैसे लोगों ने देश की आजादी को अपना लक्ष्य निर्धारित किया और इसके लिए जीवन को समर्पित कर दिया। आज दुनिया का विकास बहुत तेज गति से हो रहा है और हर कदम पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, हर व्यक्ति के लिए निश्चित लक्ष्य के प्रति प्रयास करना ही आवश्यक है। मैंने अपने जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है स्वच्छंदता और स्वतंत्रता से कार्य करना। मैंने यह निश्चित किया है कि जिंदगी में अच्छी पत्रकारिता करूँगा और कभी किसी गलत बात का साथ नहीं दूँगा। हर आदमी पढ़-लिखकर डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहता था। जो पढ़ता-लिखता नहीं, वह नेता बन जाता था। बचपन में एक बार राष्ट्रपति भवन में एक पत्रकार को देखा था। उसका व्यक्तित्व बड़ा प्रभावशाली था और सुरक्षा अधिकारी से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक उसकी इज्जत कर रहे थे। उसे देखकर मैंने सोचा कि मैं पत्रकारिता को ही अपनाऊँगा। पत्रकारिता को मैंने अपना व्यवसायिक लक्ष्य बनाया है और एक लक्ष्य और निर्धारित किया है कि जिंदगी में जान-बूझकर कोई ऐसा कार्य नहीं करूँगा, जिससे दूसरों को दुःख पहुँचे। मैंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद कभी भी विकल्प की बात नहीं सोची। मेरा लक्ष्य आज भी अडिग है और मैं अपनी पूरी जिंदगी अपने लक्ष्य के साथ ही जिऊँगा।


मेरे जीवन का लक्ष्य