CBSEClass 9 Hindiअनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : ग्लोबल वार्मिंग के खतरे


परिवर्तन प्रकृति का नियम है और परिवर्तन ही अटल सत्य है। अतः पर्यावरण में परिवर्तन हो रहा है। यह चिंता का विषय है कि जो परिर्वतन शताब्दी के अंतराल में हुआ करता था, वे अब दशक में होने लग गए हैं। 10वीं शताब्दी में सुपर सोनिक वायुयानों का ईजाद हुआ और वे ऊपरी आकाश में उड़ाए जाने लगे। उन वायुयानों के द्वारा निकले पदार्थों में उपस्थित नाइट्रिक ऑक्साइड के द्वारा ओजोन परत का क्षय महसूस किया गया। यह ओजोन परत वायुमंडल के समताप मंडल या बाहरी घेरे में होती है। ग्लोबल वार्मिंग का अभिप्राय-पृथ्वी पर तापमान का अत्यधिक बढ़ना है। वातावरण में गर्मी बढ़ रही है, जिससे वायुमंडल गर्म हो रहा है। इसका प्रभाव समस्त जनजीवन प्रकृति सभी पर पड़ेगा। बर्फ के पहाड़ पिघलेंगे जिससे बाढ़ आएगी। नदियों के जलस्तर में वृद्धि होगी। हर तरु तबाही व विनाश का साम्राज्य होगा। अत्यधिक ऊर्जा के कारण ओजोन परत में छेद हो जाएगा। परिणामस्वरूप त्वचा को झुलसा देनेवाली खतरनाक पराबैंगनी किरणें धरती पर आएँगी और जनजीवन को ध्वस्त कर देंगी। ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से सुरक्षा करना आवश्यक है इसके लिए ऊर्जा संसाधनों के अनावश्यक उपयोग को रोकना होगा। हरियाली लानी होगी। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर धरती को हरा-भरा रखना होगा ताकि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को टाला जा सके।