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कविता : माँ के नहीं होने पर


माँ के नहीं होने पर


धूप में बाहर मत घूमो

लू लग जाएगी।

बारिश में भीग गए

कपड़े बदलो,

तबीयत बिगड़ जाएगी।

इस बार

कितनी कड़ाके की ठंड है

और तुम हो कि

मानते नहीं,

चलो स्वेटर पहनो

सर्दी लग जाएगी।

गुस्सा आता था माँ पर,

बचपन में

ऐसी बातें सुनकर।

मेरे सुख-दुख से तब

सरोकार था किसी को

यह अहसास होता है अब,

माँ के नहीं होने पर।