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हीरे 💍की पहचान 💎

जाड़े के दिन थे।

राजा ने धूप में खुले में दरबार लगाया था। उसी समय एक दूसरे क्षेत्र का व्यक्ति वहां आया।

उसने कहा – मेरे पास दो टुकड़े हैं। दोनों एक तरह के हैं। इसमें एक हीरा है और एक कांच का टुकड़ा।

यदि आपके दरबारियों ने इनका भेद पहचान लिया तो यह हीरा आप के खजाने का हिस्सा बन जाएगा और जो नहीं पहचान सके तो राज्य मुझे हीरे के मूल्य के बराबर सोने की अशर्फियां देखा।

राजा ने दरबारियों की ओर देखकर राज्य की इज्जत के लिए प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। कोई दरबारी अंतर नहीं पकड़ पाया।

अंत में एक बेहद वृद्ध व्यक्ति आगे आकर बोले – मुझे भी मौका दीजिए। मैं इन दोनों में अंतर बता सकता हूं।

वृद्ध ने अनुभवों से प्राप्त समझदारी से अंतर बता दिया।

परदेसी से पूछा तो उसने वृद्ध की पहचान को सही बताया।

राजा ने पूछा – कैसे पहचाना ?

वृद्ध ने बताया – “दोनों टुकड़ों को धूप में रखा जो गर्म हो गया वह कांच का और जो शीतल बना रहा वह हीरा।

यही अंतर हम इंसानों में भी दिख जाता है, जो परिस्थितियों के ताप में भी शांत बना रहे वह हीरा और जो बिखर जाए, बिगाड़ कर बैठे, वह साधारण कांच।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है – यही कि परिस्थितियां हमें उलझाती हैं, लेकिन जो शांत मन से उनका सामना करते हैं उन्हें ही हीरा कहा जाता है।