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- अभिवयक्त करने के लिए जियो, प्रभावित करने के लिए नहीं।
- किताबों की दुनिया में इतना चमत्कारी शब्द और अनुभव जगत समाया है कि बिना उन्हें जाने प्रगति संभव नहीं लगती।
- उम्र के साथ – साथ किताबों की, विषयों की समझ में भी परिपक्वता आती है, लिहाजा उनकी गिनती और बढ़ती जाती है।
- यदि जीवन में विफलताएं नहीं आएंगी तो सफलता का मार्ग भी प्रशस्त नहीं हो सकता।
- यदि हमने किसी वस्तु का अभाव अनुभव नहीं किया होगा तो उसके मिलने पर हमें अपेक्षित आनंद भी नहीं मिल पाएगा।
- मंज़िल से ज्यादा सफ़र का मज़ा होता है। चलना, चलते रहना सक्रिय बने रहने का नाम है।
- चारों ओर अच्छा देखने के लिए सोच का भी अच्छा होना जरुरी है।