हिंदी में कविता – मेरा घर
मेरा घर
यह मेरा मिट्टी का घर,
नल के नीचे धरती पर।
घास – फूस से इसे सजाया,
दादा जी ने स्वयं बनाया।
दिन जाता सूरज ढलता है,
तब इसमें दीपक जलता है।
कहता मुझ सा ज्योतिर्मय हो,
जिससे सारा जग सुखमय हो।
यह मेरा मिट्टी का घर,
नल के नीचे धरती पर।
घास – फूस से इसे सजाया,
दादा जी ने स्वयं बनाया।
दिन जाता सूरज ढलता है,
तब इसमें दीपक जलता है।
कहता मुझ सा ज्योतिर्मय हो,
जिससे सारा जग सुखमय हो।