स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय अभियान : गांधी तेरे पथ पर
हिंदी कविता : गांधी तेरे पथ पर
गांधी की क्या बात करूँ, गांधी उदास हैं,
वे जूझ रहे तुमसे और बदहवास हैं।
गंदगी ही गंदगी बाप रे, कूड़े का ढेर है,
ये भी कोई रोग, या ऊपर का खेल है।
गंदी गलियाँ और नाले सता रहे हैं,
खा-खा के पान थूकने वाले गंदगी फैला रहे हैं।
चुप हैं, व्यंग्य में, थोड़े तंग गांधी हैं।
अब उनके रास्तों से थोड़ा दंग आदमी है।
जिससे भी मिले गांधी, आदर से मिले हैं,
दौड़कर ज्ञान के सागर से मिले हैं।
घर-घर में जा रहा एक ही संदेश है,
ये हमारा देश, हमारे पूर्वज की देन है,
इसे साफ़ रखना हमारा कर्तव्य है,
आखिर ये तो अपना ही प्रिय एक ही तो देश है।
गांधी तेरे कदमों पर
आ चलें हम झुका के सर।
गाँव-गाँव में, विद्यालयों में स्वच्छ शौचालय हैं,
सेहत और तंदुरुस्ती के सब रखवाले हैं,
उसके आस-पास ही कहीं अपने सपनों का विद्यालय है।
दूर उस गाँव में देख,
एक नन्ही परी के सपने हैं,
उसका भी मन का महल विद्यालय से ही तो है।
गांधी तेरे कदमों पर
आ चले हम झुका के सर।
हर मोह का, माया का और दर्द का
हमने इलाज पाया है।
आ चलें हम स्वच्छता फैलाएँ
आखिर ये वही तो भारत है, जिससे हमने दिल लगाया है।