CBSEClass 9 HindiEducationPunjab School Education Board(PSEB)

स्मृति : प्रश्न उत्तर


  अन्य हल प्रश्न


प्रश्न 1. लेखक की चि‌ट्ठियाँ कुएँ में क्यों गिर गई?

उत्तर : लेखक के कुरते में जेबें नहीं थीं इसलिए उसने वे चिट्ठियाँ अपनी टोपी के नीचे रख ली थीं। जब वह आदत के अनुसार टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंकने लगा तो वे चिट्ठियाँ उड़कर कुएँ में जा गिरी।

प्रश्न 2. लेखक अपने बचपन में किस वस्तु से अधिक मोह रखता था और क्यों?

उत्तर : लेखक को बचपन में बबूल के डंडे से बहुत अधिक मोह था। उसे वह डंडा रायफल से भी अधिक प्रिय था। उसका कारण था कि वह उसके द्वारा अनेक साँप मार चुका था। इसके अलावा उसने अनेक बार आमों के पेड़ों से इसी डंडे की सहायता से आम तोड़े थे। लेखक अपने डंडे को गरुड़ की संज्ञा देता था। उसे अपना डंडा सजीव प्रतीत होता था।

प्रश्न 3. लेखक का छोटा भाई क्यों रोने लगा?

उत्तर : लेखक का भाई आठ वर्ष का था। उसका दिल कमजोर था। इसलिए चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने पर वह जोर-जोर से रोने लगा। फिर जब उसका भाई कुएँ में चिट्ठियों के लिए उतरने लगा तो उसे बहुत डर लगा। कुएँ के अंदर साँप भी फुफकार रहा था। इस कल्पना से वह भयभीत हो गया और रोने लगा।

प्रश्न 4. कुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ ने क्या प्रतिक्रिया की?

उत्तर : कुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ भयभीत हो गई। ममता के कारण उनकी आँखें आँसुओं से भर गई। उन्होंने लेखक को अपनी गोद में बिठाकर अपने से सटा लिया। ऐसा करके वे अपने बेटे तथा स्वयं की सुरक्षा को अनुभव करना चाहती थीं।

प्रश्न 5. भाई साहब ने लेखक को कौन-सा काम करने को कहा? उसके लिए मुसीबत क्यों खड़ी हो गई?

उत्तर : भाई साहब ने लेखक को तीन चि‌ट्ठियाँ देकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आने को कहा। साँप को ढेला मारने के प्रयास में जब वह उछला, तो उसने उत्तेजित होकर टोपी उतार ली, जिससे उसमें रखी चि‌ट्ठियाँ कुएँ में गिर गई और उसके लिए मुसीबत खड़ी हो गई।

प्रश्न 6. ‘मेरा डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था’ आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार नारायण देव का वाहन गरुड़ पक्षी है, जो साँपों को मार देता है। इसी प्रकार लेखक भी अपने डंडे से अनेक साँपों को मार चुका था। इसी प्रकार लेखक के डंडे को नारायण-वाहन कहा गया है।

प्रश्न 7. चिट्ठियों के कुएँ में गिरते ही लेखक पर बिजली-सी क्यों गिर पड़ी?

उत्तर : कुएँ में चिट्ठियाँ गिरते ही लेखक इसलिए परेशान हो गया, क्योंकि भाई साहब से झूठ बोलने का दुस्साहस उसमें नहीं था कि चिट्ठियाँ डाकखाने में डाल दी गई हैं। दूसरा उपाय केवल यह था कि चिट्ठियों को कुएँ में घुसकर निकाला जाए और यह कार्य जोखिम भरा था क्योंकि वहाँ भयंकर साँप रहता था।

प्रश्न 8. चक्षुश्रवा किसे कहा जाता है व क्यों?

उत्तर : चक्षुश्रवा का अर्थ है-आँखों से सुननेवाला। साँप को चक्षुश्रवा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उसके कान नहीं होते, इसी कारण वह आँखों से ही सुनता है, ऐसा कहा जाता है कि साँप के सामने लेखक खुद को भी चक्षुश्रवा अनुभव कर रहा था, क्योंकि दोनों एक-दूसरे को आँखों से पहचान रहे थे।

प्रश्न 9. लेखक ने ऐसा कौन-सा काम किया जिससे वह एक भारी मुसीबत में फंस गया? पाठ के आधार पर अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

उत्तर : लेखक अपने गाँव से मक्खनपुर के डाकखाने में बड़े भाई की दी हुई चि‌ट्ठियाँ डालने जा रहा था। उसने चि‌ट्ठियाँ अपनी टोपी में रखी हुई थी। रास्ते में जब वह अपने भाई के साथ कुएँ के नजदीक पहुँचा तो उसने प्रतिदिन की भाँति कुएँ के किनारे से एक हाथ से बेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए कुएँ के साँप पर ढेला फेंका। ढेला साँप को लगा या नहीं इसका तो पता नहीं चला पर टोपी को हाथ में लेते ही उसमें रखी तीनों चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में जा गिरी। लेखक ने उसे झपटने का प्रयास किया परंतु सफल न हो सका। वे उसकी पहुँच से बाहर हो चुकी थीं। लेखक इस प्रकार मुसीबत में फँस गया। वह भाई के क्रोध से डरता था और उनसे झूठ भी नहीं बोल सकता था। बाल मस्तिष्क हर समय सूझ-बूझ से कार्य करने में सक्षम नहीं होता। कभी भी शरारतों का स्मरण होते ही वह अपने चंचल मन को रोकने में असमर्थ होता है। ऐसा करने पर वह किसी भी मुसीबत में फंस सकता है जैसा कि इस कहानी में लेखक के साथ हुआ।

प्रश्न 10. यह कहानी बाल मनोविज्ञान की परतों को किस प्रकार खोलती है? इस कथन का विवेचन कीजिए।

उत्तर : बच्चे झरबेरी के बेर और आम के पेड़ों से आम तोड़कर खाने में आनंद का अनुभव करते हैं तथा स्कूल जाते हुए रास्ते में शरारतें करते जाते हैं। साथ ही वे छोटे जीव-जंतुओं को तंग करके प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। जैसा कि पाठ में बताया गया है कि लेखक व उसके मित्र विद्यालय जाते हुए कुएँ में रहने वाले साँप को ढेला मारकर प्रसन्न होते थे। बच्चे जब भी किसी मुसीबत में फंस जाते हैं तो रोने लगते हैं। वे अपनी माँ को याद करते हैं। जैसे कि लेखक व उसका भाई भी कुएँ में चिट्ठियों के गिरते ही रोने लगे तथा माँ को गोद को याद करने लगे। इस प्रकार लेखक ने इस कहानी में बच्चों के स्वभाव व शरारतों का बारीकी से अध्ययन करके ही वर्णन किया है। यह सब बाल सुलभ शरारतें सभी बच्चे करते हैं। लेखक को इसमें पूर्ण रूप से सफलता मिली है।

प्रश्न 11. चक्षुश्रवा किसे कहा जाता है? ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर : चक्षुश्रवा उसे कहा जाता है जो आँखों से सुनता है। यह साँप को भी कहा जाता है क्योंकि उसके कान नहीं होते। साँप के सामने लेखक खुद को चक्षुश्रवा अनुभव कर रहा था। दोनों ने एक-दूसरे को आँखों से पहचाना। तब अन्य इंद्रियों ने काम करना बंद कर दिया। कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जब हमें कानों की अपेक्षा आँखों से सुनना पड़ता है। अर्थात् सतर्कता से कार्य करना पड़ता है। जरा-सी चूक हमें खतरे में डाल सकती है। हमारे प्राणों को खतरा हो सकता है। ठीक ऐसा ही लेखक के साथ हुआ जब वह कुएँ में साँप के सामने था।

प्रश्न 12. ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर लेखक की बहादुरी का वर्णन करें।

उत्तर : ‘स्मृति’ नामक पाठ को पढ़कर हम कह सकते हैं कि लेखक बचपन से ही बहादुर, साहसी तथा कर्तव्यनिष्ठ था। वह बचपन से ही अपनी लाठी से अनेक साँपों को मार चुका था। इसी कारण उसका मन साहसी हो गया है। कुएँ में गिरी हुई चिट्ठियों को निकालकर लाने का विचार कोई साहसी व्यक्ति ही कर सकता है। विशेष रूप से यदि उसमें कोई कुद्ध साँप बैठा हो तो ऐसा करना दुस्साहस कहलाएगा। साँप के घर में जाकर उसके सामने आँखों में आँखें डालकर सुरक्षित निकल आना बहुत कठिन काम था। इसमें मौत का खतरा था। छोटा भाई भी रो-रोकर डरा रहा था। ऐसी स्थिति में साहस दिखाना लेखक की हिम्मत का परिचायक है।

प्रश्न 13. ‘साँप ने मानो अपनी शक्ति का सर्टीफिकेट सामने रख दिया था, पर मैं तो उसकी योग्यता का पहले ही से कायल था।’ यह बात किस संबंध में कही गई है?

उत्तर : जब लेखक ने कुएँ के भीतर साँप के दाईं ओर पड़ी चि‌ट्ठी को प्राप्त करने के लिए डंडा उस ओर बढ़ाया तो साँप ने क्रोधपूर्ण फुफकार से डंडे के सिर पर वार किया। डर के मारे लेखक के हाथ से डंडा छूट गया। उसने देखा कि डंडे पर तीन-चार स्थानों पर साँप का विष है, जो उसके शक्तिशाली होने का प्रत्यक्ष प्रमाण था। किंतु लेखक तो उसकी शक्ति व सामर्थ्य को पहले से ही जानता था; तभी तो वह सावधनीपूर्वक कुएँ में घुसा।