संपादकीय पत्र : चुनाव के दिनों में लोगों को होने वाली असुविधा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पत्र
चुनाव के दिनों में कार्यकर्ता घरों, विद्यालयों और मार्गदर्शक चित्रों आदि पर बेतहाशा पोस्टर आदि लगा जाते हैं। इससे लोगों को होने वाली असुविधा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ‘नवभारत टाइम्स’ पत्र के कॉलम ‘हमारी आवाज’ के लिए पत्र लिखिए।
सी-4, ग्रेटर कैलाश
नई दिल्ली
दिनांक : 18 जुलाई, 20XX
प्रधान संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफर मार्ग
नई दिल्ली-110002
विषय : चुनाव प्रचार के पोस्टर आदि से होने वाली असुविधा
मान्यवर
आजकल आम चुनावों के दिन हैं तथा चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर हैं। इन दिनों जिधर देखिए पोस्टर-ही-पोस्टर दिखाई पड़ते हैं। पोस्टर लगाने वाले इन लोगों ने घरों, विद्यालयों, दुकानों आदि की दीवारों को पोस्टरों से बुरी तरह ढक दिया है। इनसे सुंदरता को तो ठेस पहुँचती ही है, गलियों के नाम, उनके नंबर, मकानों के नंबर आदि भी ढूँढ़ने में दिक्कत होती है। पोस्टर लगाने वाले इन उत्साही कार्यकर्ताओं ने मार्गदर्शक चित्रों को भी नहीं छोड़ा है। उन्हें भी पोस्टरों से ढक दिया है। इस स्थिति में यदि किसी आगंतुक को किसी स्थान का पता आदि ढूंढ़ना हो तो वह बेचारा कैसे ढूँढ़े?
मेरे विचार से प्रत्याशियों व उनके सहयोगियों द्वारा की जाने वाली प्रचार की इन हरकतों पर कुछ रोक होनी चाहिए। घरों के नंबर, गलियों के नाम, नंबर तथा मार्गदर्शक चित्रों पर पोस्टर लगाने पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए तथा ऐसा करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। आपसे अनुरोध है कि मेरे इन विचारों को अपने समाचार-पत्र के ‘हमारी आवाज़’ कॉलम में छापने का कष्ट करें, जिससे कि राजनैतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को इस दिशा में सावधानी बरतने को कह सकें।
सधन्यवाद
भवदीय
रवींद्र अग्रवाल