मुहावरे


1. अंग-अंग मुसकाना : (बहुत खुश होना) – विद्यालय में सर्वश्रेष्ठ छात्र होने का पुरस्कार पाकर रिपन का अंग-अंग मुसकाने लगा।

2. अंग-अंग ढीला होना : (बहुत थक जाना) : कई दिनों से लगातार सफर में रहने के कारण मेरा अंग-अंग ढीला पड़ गया है।

3. अँगूठा दिखाना : (साफ मना कर देना) – मैंने बलराम से व्याकरण की पुस्तक माँगी, तो उसने अँगूठा दिखा दिया ।

4. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना : (शर्मिंदा होना) – नितिन को प्रतियोगिता जीतने की पूरी आशा थी; किंतु परिणाम में अपने को कहीं भी न पा वह अपना-सा मुँह लेकर रह गया।

5. अक्ल पर पत्थर पड़ना : (कुछ न सूझना) – साक्षात्कार की तैयारी तो बहुत की थी; परंतु प्रश्न सुनते ही अक्ल पर पत्थर ही पड़ गए।

6. अपने पैर पर आप कुल्हाड़ी मारना : (अपनी हानि का कारण स्वयं बनना) – विजयेंद्र जैसे बदनाम व्यक्ति से मित्रता करके रोहित ने अपने पैर पर आप ही कुल्हाड़ी मारने वाली बात सच कर दिखाई है।

7. अपना उल्लू सीधा करना : (स्वार्थ सिद्ध करना) – समय ही ऐसा आ गया है कि हर आदमी सिर्फ़ अपना उल्लू ही सीधा करना चाहता है।

8. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना : (अपनी प्रशंसा स्वयं करना) – अपने मुँह मियाँ मिट्टू बनने वाले कहीं भी अच्छी नज़र से नहीं देखे जाते।

9. अपनी खिचड़ी अलग पकाना : (सबसे अलग रहना) – देश में हर नेता अपनी खिचड़ी अलग पका रहा है।

10. अंगारे उगलना : (क्रोध में कठोर बोलना) – विरोधी के मुख से गंदे शब्द सुनते ही वह अंगारे उगलने लगा।

11. अक्ल के घोड़े दौड़ाना : (खूब सोच-विचार करना) : लगातार अक्ल के घोड़े दौड़ाते रहकर ही वैज्ञानिक तरह-तरह के आविष्कार कर सके।

12. अक्ल का दुश्मन : (बेवकूफ़ व्यक्ति) – अरे, रमेश की बात छोड़ो! वह तो अक्ल का दुश्मन है।

13. आँख दिखाना : (क्रोध से देखना) – आँख दिखाने से काम नहीं चलेगा, मेरा पेन चुपचाप लौटा दो।

14. आँखों में धूल झोंकना : (धोखा देना) – बहुत बड़ा लाभ दिलाने के इश्तिहार निकालने वाले आँखों में धूल भी झोंक रहे हैं।

15. आँखों का काँटा : (बुरा लगने वाला) – शराब पीने की गंदी आदत ने उसे सबकी आँखों का काँटा बना दिया है।

16. आँखें चार होना : (आमना-सामना होना) – रूठे हुए मित्र अचानक आँखें चार होने पर मुस्कराकर गले लग गए।

17. आँखें खुलना : (होश में आना) – शराब पीकर सब कुछ गँवा देने के बाद अमित की आँखें खुलीं भी तो क्या?

18. आँख बचाना : (छिपकर निकल जाना) – दुकानदार को देखते ही मेरे लिए आँख बचाकर निकलने के सिवा कोई चारा नहीं होता।

19. आँख का तारा : (अति प्रिय) – वरुण अपने माता-पिता और दादी की आँख का तारा है।

20. आँच न आने देना : (ज़रा भी कष्ट न होने देना) – अच्छे लोग स्वयं कष्ट झेलकर भी अपनों पर आँच नहीं आने दिया करते।

21. आपा-धापी पड़ना : (अंधेरगर्दी मचना) – कुशल और ईमानदार राजनेताओं के अभाव के कारण ही चारों ओर आपा-धापी पड़ रही है।

22. आसमान पर चढ़ना : (बहुत घमंड होना) – श्वेता ने प्रतियोगिता क्या जीती, उसका तो सिर ही जैसे आसमान पर जा चढ़ा है।

23. आसमान सिर पर उठाना : (बहुत शोर करना) – यह बच्चे जब भी इकट्ठे होते हैं, आसमान सिर पर उठाए रहते हैं।

24. आकाश से बातें करना : (बहुत ऊँचा उठना) – उड़ान भरते ही हमारा वायुयान जैसे आकाश से बातें करने लगा।

25. आटा-दाल का भाव मालूम होना : (कठिनाई का अनुभव होना) – निरंतर बढ़ती महँगाई के कारण जनसाधारण की तो बात ही क्या, बड़े-बड़ों को आटे – दाल का भाव मालूम होने लगा है।

26. ईद का चाँद : (बहुत कम या लंबे समय बाद मिलने वाला) – मुंबई क्या गए, तुम तो जैसे ईद के चाँद ही हो गए हो।

27. ईंट से ईंट बजा देना : (तहस-नहस कर देना) – भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों की ईंट से ईंट बजा दी।

28. ईंट का जबाब पत्थर से देना : (जैसे को तैसा व्यवहार करना) – जब तक दुष्टों की ईंट का जवाब पत्थर से न दिया जाए, वे मानते ही नहीं।

29. उन्नीस-बीस का अंतर : (बहुत कम फर्क) – राजेंद्र और सुरेंद्र के व्यवहार में मात्र उन्नीस-बीस का अंतर ही प्रतीत होता है।

30. उँगली उठाना : (बदनाम करना, इशारा करना) – तुम्हारे कारण आस-पास के लोग तुम्हारे परिवार पर भी उँगली उठाने लगे हैं।

31. उँगली पर नचाना : ( वश में रखना) – दूसरों की उँगलियों पर कब तक नाचते रहोगे?

32. उल्लू बनाना : (मूर्ख बनाना) – चुस्त चालाक लोग सदैव दूसरों को उल्लू बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया करते हैं।

33. एड़ी-चोटी का जोर लगाना : (बहुत परिश्रम करना) – कक्षा में प्रथम आ पाने के लिए उसने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।

34. एक और एक ग्यारह : (एकता में बल) – सबके साथ मिल-जुलकर रहना सीखो क्योंकि एक और एक ग्यारह हुआ करते हैं।

35. कलई खुलना : (भेद खुल जाना) – विवेक बातें तो बहुत किया करता था; पर परीक्षा-परिणाम ने सबके सामने उसकी कलई खोलकर रख दी है।

36. कमर कसना : (डटकर तैयार होना) – कमर कसकर कार्य करने वाले जीवन में कभी भी असफल नहीं हुआ करते हैं।

37. कलेजा मुँह को आना : (बहुत बेचैन होना) – मारे प्यास के कलेजा मुँह को आने लगा है।

38. कसौटी पर कसना : (जाँच-परख करना) – विपत्ति रूपी कसौटी पर कसा जाने पर खरा उतरने वाला ही सच्चा मित्र हुआ करता है।

39. कलेजे पर हाथ रखना : (दिल को गवाह बनाना) – कलेजे पर हाथ रखकर बताओ, क्या तुम्हारा व्यवहार ठीक है?

40. कलेजा ठंडा होना : (सुख-संतोष महसूस करना) – दुर्घटना होने पर भी भाई को भला-चंगा देख शोमिता के कलेजे में जैसे ठंड पड़ गई।

41. कान कतरना : (बहुत चुस्त-चालाक होना) – इस नन्हें बालक को तो देखो, अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरने लगा है।

42. कान पर जूं तक न रेंगना : (कुछ भी असर न होना) – महँगाई के मारे चीखती-चिल्लाती जनता का बुरा हाल हो रहा है; पर नेताओं के कान पर कभी जूँ तक भी नहीं रेंगती।

43. काला अक्षर भैंस बराबर : ( एकदम अनपढ़ होना) – राकेश को पुस्तक क्यों दे रहे हो, इसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर ही है।

44. किनारा करना : (साथ छोड़ जाना) – स्वार्थी लोग काम निकलते ही किनारा कर जाया करते हैं।

45. किताबी कीड़ा : (हर समय पढ़ते रहने वाला) – किताबी कीड़ा बने रहने से भी कुछ न होगा, घूमा-फिरा भी करो।

46. खटाई में पड़ना : (संदेहजनक हो जाना) – इस पुल के बनने का काम खटाई में पड़ गया है।

47. खाला जी का घर : (अत्यंत आसान काम) – हिंद महासागर को तैरकर पार कर पाना कोई खाला जी का घर नहीं है।

48. खून खौलना: (क्रोध से भर जाना) – धोखा देकर शत्रु-पक्ष से जा मिलने वाले सैनिकों को देखते ही उनका खून खौलने लगा।

49. खेत रहना : (युद्धभूमि में मारे जाना) – धोखे से आक्रमण करने पर भी शत्रु-पक्ष के बीस सैनिक खेत रहे।

50. गला फंसाना : (बंधन में पड़ना) – दूसरों के झगड़े में कब तक नाहक गला फँसाते रहोगे?