भाव पल्लवन : ‘मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’


‘मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’


पल्लवन – वाणी मनुष्य के लिए ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार है। मनुष्य इसके द्वारा दुर्लभ कार्य को भी सहज कर सकता है। इसके लिए वाणी में मधुरता का होना अनिवार्य है। मृदु-भाषी समय पर शासन करता है, परिस्थितियों को अनुकूल मोड़ देता है, सर्वत्र प्रशंसा का पात्र होता हैं तथा लोकप्रिय होता है। इसके विपरीत जिसकी वाणी में मधुरता न होकर कटुता है, वह योग्य होते हुए भी निंदा का पात्र होता है, कोई उसे अपना मित्र बनाना पसंद नहीं करता। मधुर वचन औषधि का काम करते हैं, तो कटु वचन तीर की भाँति हृदय में चुभकर सुनने वाले को आहत कर देते हैं।