भाव पल्लवन : ‘दैव-दैव आलसी पुकारा’
दैव-दैव आलसी पुकारा’
पल्लवन : कुछ आलसी, निकम्मे तथा भाग्यवादी लोग कहा करते हैं – ‘जो कुछ भाग्य में होगा, मिल जाएगा।’ वे हाथ पर हाथ रखकर अपनी जीवन-नौका को भाग्य के सहारे छोड़ देते हैं। ऐसे लोग अपनी असफलताओं के लिए भाग्य को ही दोष दिया करते हैं, परन्तु वे नहीं जानते कि भाग्य के सहारे बैठे रहना कायरता है। संसार में सुखों का भोग केवल वही करता है, जो पुरुषार्थी होता है। दृढ़ संकल्प तथा परिश्रम के बल पर ही व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माण करता है। आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। अतः इसे त्यागकर पुरुषार्थ को अपनाने वाला ही अपने शौर्य, दृढ़ता, स्वावलंबन और आत्मविश्वास से अपने भाग्य को स्वयं निर्मित करता है।