निबंध लेखन : सादा जीवन और उच्च विचार
सादा जीवन और उच्च विचार
प्रस्तावना – यह एक कहावत है, जिसके आधार पर विश्व आज तक बढ़ता चला आ रहा है। यह एक ऐसा सिद्धांत है, जो मनस्वी व्यक्तियों द्वारा कसौटी पर कसा जा चुका है। इसका अर्थ साधारणतः यही है कि सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए तथा अपनी भावनाओं को महान रखना चाहिए। यदि देखा जाए, तो पता चलेगा कि प्रत्येक देश में सादगी का महत्त्व है। महान व्यक्तियों का किसी भी देश में अभाव नहीं रहा है। अंतर केवल इतना ही है कि कुछ लोग अपने देश में ही ख्याति पा जाते हैं और कुछ संसार में अग्रणी होते हैं।
मनुष्य के गुण – यदि संसार के विख्यात मनुष्यों के जीवन पर दृष्टि डाली जाए, तो चाहे वह देशभक्त हो या वैज्ञानिक, सफल राजनीतिज्ञ हो या साहित्यकार, सभी में कुछ-न-कुछ विशेषता मिलेगी। ऐसे व्यक्ति संसार में कम ही हैं, जो जन्म से विख्यात होते हैं। सामान्य रूप से प्रसिद्धि उनके चरित्रबल एवं व्यक्तिगत परिश्रम से होती है। संसार में ऐसे व्यक्ति कम नहीं हैं, जो एक साधारण कुल में पैदा हुए; परंतु अपने बाहुबल तथा परिश्रम से बहुत ऊँचे उठ गए। यों तो अनेक व्यक्ति संसार में जन्म लेते हैं। अनेक मृत्यु को प्राप्त होते हैं; परंतु सभी का नाम संसार में उनके जाने के बाद अमर नहीं रहता। वे ही लोग संसार में अमर होते हैं, जिनकी आत्मा महान होती है। ऐसे लोग किसी उच्च परिवार में नहीं उत्पन्न होते हैं। वे मध्य वर्ग के घरों में पलते हैं और सादे जीवन में ही उनमें उन उच्च विचारों की उत्पत्ति होती है, जिनसे उनका विकास होता है।
विभिन्न प्रकार का जीवन – जीवन में साधारणतः तुच्छ विचारों को हृदय से दूर कर देना एक महान गुण है। अपने पर गर्व है करना एक भारी दोष है। सादा जीवन बिताने के लिए इस दोष को दूर करना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक मनुष्य में विनय, औदार्य, सहिष्णुता, साहस आदि गुणों का होना आवश्यक है; किंतु इन सबके मूल में चरित्रबल प्रधान होता है। इसके बिना जीवन सादा नहीं हो सकता है। इन गुणों का प्रभाव जीवन और उसके विकास पर पड़ता है। रहन-सहन और वेशभूषा का एक स्तर होना आवश्यक है, अपव्ययी नहीं होना चाहिए। जितना हो सके, जीवन में सादापन लाए; किंतु यह भी ठीक नहीं है कि वह अपने को दीन-हीन और गरीब समझकर हतप्रभ हो जाए। हम लोगों के सामने अपने पूर्वजों के बड़े-बड़े उदाहरण हैं।
महापुरुषों के उदाहरण – कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो महात्मा गाँधी जी को नहीं जानता होगा? महात्मा जी कितनी सादी वेशभूषा में रहते थे, पर उनके विचार कितने महान थे। ईश्वरचंद्र विद्यासागर को कौन नहीं जानता? उनके जीवन में कितनी सरलता थी, यह एक उदाहरण द्वारा प्रकट किया जा सकता है। कहा जाता है, एक बार एक व्यक्ति को ईश्वरचंद्र विद्यासागर से मिलना था। उसके पास सूटकेस था। रास्ते में उसे ईश्वरचंद्र जी मिल गए। वे साधारण कपड़े पहने हुए थे। उस कपड़े में कोई भी यह नहीं कह सकता था कि यही ईश्वरचंद्र हैं। उन्होंने कुली के रूप में उसका समान पहुँचाया। बाद में वह व्यक्ति बड़ा लज्जित हुआ। विदेशियों में भी इस तरह के उदाहरण मिलते हैं। वाशिंगटन का नाम सुना होगा। वह अमेरिका का सर्वप्रथम राष्ट्रपति था, जिसके नाम पर अमेरिका में वाशिंगटन नगर का निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि वह बड़ा गरीब था उसका पिता लकड़ी बेचकर परिवार का भरण-पोषण करता था; किंतु उसने अपने परिश्रम एवं सादगी से उच्च स्थान प्राप्त किया।
उपसंहार – सारांश यह है कि मनुष्य को परिश्रम एवं सादगी सीखनी चाहिए। तभी वह अपना देश का और विश्व का कल्याण कर सकता है। उसके जीवन में तभी क्रांति होगी और तभी देश में उसका आदर होगा। ‘सादा जीवन उच्च विचार’ की कहावत सदा याद करनी चाहिए और उस पर चलते रहने के लिए हमको प्रयत्न करना चाहिए।