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तुम कब जाओगे, अतिथि : अति लघु प्रश्न


तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी


प्रश्न 1. अतिथि के न जाने पर लेखक के मन में क्या विचार आ रहे थे?

उत्तर : अतिथि के अधिक दिन ठहरने से लेखक में सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर का स्थान खिचड़ी ने ले लिया। अब भी अतिथि ने बिस्तर को गोलाकार रूप प्रदान नहीं किया तो लेखक के परिवार को उपवास तक जाना पड़ सकता है। अतिथि के जाने का यह चरम क्षण है।

प्रश्न 2. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था व क्यों?

उत्तर : अतिथि का लेखक से यह कहना कि वह धोबी से कपड़े धुलवाना चाहता था, यह आघात अप्रत्याशित था, क्योंकि लेखक ने सोचा था कि वह तीसरे दिन चला जाएगा, किंतु वह अभी और टिकने वाला था।

प्रश्न 3. अतिथि के टिके रहने पर परिस्थितियों में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर : पहले अतिथि को देखकर जो मुस्कराहट फूट पड़ती थी, अब वह लुप्त हो गई। पहले बातचीत ठहाकों भरे वातावरण में होती थी, किंतु अब शांति का वातावरण है और बातचीत भी नहीं होती।

प्रश्न 4. संबंधों की बोरियत किस प्रकार प्रकट की जाती है?

उत्तर : संबंधों की बोरियत प्रकट करने के कई तरीके हैं। अतिथि के साथ बात करना कम कर दिया जाए। मुसकराना और हँसना छोड़ दिया जाए। कोई किताब, उपन्यास या पत्रिका लेकर उसके पन्ने उलटने शुरू कर दिए जाएँ। ये सब बोरियत प्रकट करने के तरीके हैं।


लघु प्रश्न

प्रश्न 1. लेखक ने अतिथि को जाने का संकेत किन-किन उपायों से दिया?

उत्तर : लेखक ने अतिथि को जाने का संकेत देने के लिए कई उपाय किए। उसने अतिथि के सामने रोज-रोज तारीखें बदलीं, तारीखें बदलते समय इस बात को दोहराया कि आज यह तारीख हो चुकी है। उसने धोबी को कपड़े देने की बजाय लॉण्ड्री में देने का सुझाव दिया ताकि कपड़े जल्दी धुल सकें। अंत में लेखक ने मुस्कराना और बातचीत करना तक बंद कर दिया।

प्रश्न 2. घर की स्वीटनेस कब समाप्त हो जाती है?

उत्तर : घर की स्वीटनेस अर्थात पारिवारिकता की मिठास तब समाप्त हो जाती है, जब कोई बाहर का अतिथि बिना किसी कारण अचानक आकर डेरा जमा लेता है। घर के सदस्यों को तब घर-घर नहीं लगता। वे आराम से नहीं रह पाते। जान-बूझकर उन्हें शिष्टता का दिखावा करना पड़ता है। वास्तविकता का स्थान नाटकीयता ले लेती है। खुलकर हँसना भी मुश्किल हो जाता है।

प्रश्न 3. इस पाठ के माध्यम से लेखक ने पाठकों को क्या सीख दी है?

उत्तर : इस पाठ के माध्यम से लेखक ने पाठकों को यह सीख दी है कि उन्हें अतिथि के रूप में किसी के घर अधिक दिनों तक नहीं टिकना चाहिए। अपना कार्य समाप्त कर शीघ्र लौट जाना चाहिए। संबंधों में अपनापन व मधुरता केवल एक-दो दिन तक ही रहती है। उसके पश्चात कटुता व विवशता आ जाती है। साथ ही मेजबान की आर्थिक स्थिति का भी ख्याल रखना चाहिए।

प्रश्न 4. प्रस्तुत लेख में लेखक ने किस प्रकार के लोगों पर व्यंग्य किया है?

उत्तर : प्रस्तुत लेख में लेखक ने ऐसे लोगों की व्यंग्य किया है जो दूसरों के घर में जबरदस्ती कब्ता कर मेहमाननवाजी कराते हैं और फिर वापिस जाने का नाम नहीं लेते। ये लोग बिना सूचना दिए चले आते हैं। रिश्तेदारी दो-चार दिन के लिए ही उपयुक्त होती है। फिर भारी पड़ने लगती है। इस पाठ में मेजबान प्रतिदिन मेहमान के प्रस्थान के बारे में सोचता रहता है।

प्रश्न 5. लेखक अतिथि को किस प्रकार घर लौट जाने का स्मरण दिलाना चाहता है?

उत्तर : लेखक अतिथि को स्मरण दिलाना चाहता है कि कैलेंडर सामने लगा है; सिगरेट का धुआँ उछाल रहे हो; दो दिन से तुम्हारे जाने की प्रतीक्षा हो रही है। कम-से-कम यह तो ख्याल रखना चाहिए कि घर में रहते हुए बहुत दिन बीत गए। लाखों मील लंबी यात्रा के बाद एस्ट्रॉनाट्स भी इतने समय तक चाँद पर नहीं रुके थे। माना तुमने एक अंतरंग संबंध स्थापित कर लिया है, किंतु आर्थिक अभावों के बावजूद तुम यहीं टिके रहना चाहते हो। अब तुम्हें घर लौट जाना चाहिए, क्या तुम्हें अपने घर की याद नहीं आती।

प्रश्न 6. अतिथि के बारे में लेखक की धारणा क्यों बदली?

उत्तर : लेखक परंपरा के अनुसार हर अतिथि को देवता के समान समझता था। उसके अनुसार अतिथि पूज्य होता है परंतु जब उसने अतिथि को लंबे समय तक ठहरते देखा तो उसकी धारणा बदल गई। वह उसे राक्षस के समान प्रतीत होने लगा।