छोटा मेरा खेत – सार


छोटा मेरा खेत – उमाशंकर जोशी


सारांश


कवि कहता है कि चौकोर खेत रूपी कागज़ पर जिस पर कोई भी रचना (साहित्य) शब्दबद्ध की जाती है, उस पर सबसे पहले किसी अंधड़ अर्थात् भावनात्मक आँधी के प्रभाव से किसी क्षण रचना, विचार या अभिव्यक्ति रूपी बीज बोया जाता है। कल्पना के सहारे से वह विकसित व विगलित होकर शब्दों रूपी अंकुर के रूप में बपर आता है और कृति के रूप में तैयार हो जाता है जिसमें से अलौकिक रस-धारा फूटती है जो अनंत काल तक रहती है।