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कविता : माँ – मेरे लिए खास


माँ – मेरे लिए खास


एक ऐसी रचना जो सब पर भारी है,

उसी की सृष्टि ये दुनिया सारी है,

माँ पर लिखूँ कविता मेरे

मित्र ने की मुझसे ऐसी कामना,

पर माँ को उतार सकूँ कविताओं में,

ऐसे शब्दों से हो सका न सामना।

फिर मैंने हताश निराश हो शब्दों को

ढूंढने का खत्म कर दिया प्रयास

और खो गया बचपन की उस दुनिया में,

जब मेरी माँ ही मेरे लिए है सबसे खास।

माँ के वात्सल्य भाव की ऐसी है भूमिका,

चित्र जो उतार सके बनी न ऐसी तूलिका,

माँ के अनन्त उपकार को तू कभी भी मत भुला,

तोल सके ममता जिससे तू बन सकी ना वो तुला।

माँ असीम दर्द सह जब देती जन्म संतान को,

अपने जीवन का सबसे सुखद वही क्षण मानती है,

माँ के विश्वास ने मुझमें,

आत्मविश्वास का बीज बो दिया,

उसके त्याग ने सही रास्ते पर लाकर,

मुझे इन्सान बना दिया।

क्षमा करो हे मित्र मुझे तुम,

लिख सका ना माँ पर कविता,

शब्दों में मैं ढूँढ सका ना,

ऐसी होती है माँ की ममता॥