एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द


1. अमूल्य : जिस वस्तु का मूल्यांकन न किया जा सके। जैसे: जो सेवा भाव आपने हमारे प्रति दिखाया है, वह अमूल्य है।

बहुमूल्य : जिस वस्तु का मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक आँका जाए। जैसे: तुम्हारे घर का फर्नीचर बहुमूल्य है।

2. अवस्था : जीवन का बीता हुआ भाग। जैसे : अभिमन्यु छोटी अवस्था में ही शस्त्र विद्या में निपुण हो गया था।

आयु : जन्म से मृत्युपर्यंत। जैसे : अनिल ! तुम्हारी आयु ज्योतिषी ने लंबी बताई है।

3. अस्त्र : वह हथियार जो हाथ से फेंककर चलाया जाए। जैसे: बाण, भाला आदि।

शस्त्र : जो हथियार पास से हाथ में पकड़े-पकड़े चलाया जाए। जैसे: तलवार।

4. अपराध : सामाजिक एवं सरकारी कानूनों का उल्लंघन। जैसे : तुमने अपराध किया है तो सजा मिलेगी ही।

पाप : नैतिक एवं धार्मिक नियम तोड़ना। जैसे किसी का अहित सोचना पाप है।

5. आधि : मानसिक पीड़ा। जैसे : चिंता, घुटन आदि।

व्याधि : शारीरिक कष्ट। जैसे उसकी व्याधि असाध्य है।

6. आज्ञा : बड़ों द्वारा छोटों को कुछ कहना। जैसे: पिता की आज्ञा से राम वन को गए।

आदेश : अधिकारी द्वारा दी गई आज्ञा। जैसे: लिपिक ने तत्काल प्राचार्य के आदेश का पालन किया।

7. अहंकार : अपने गुणों को अधिक समझकर घमंड करना। जैसे : इतना अहंकार अच्छा नहीं है।

अभिमान : स्वयं को बड़ा और दूसरों को छोटा समझना। जैसे : वह बहुत अभिमानी हो गया है।

8. अभ्यास : मानसिक श्रम। जैसे : एकलव्य अभ्यास से ही धनुर्विद्या में निपुण हो गया।

चेष्टा : प्रयासपूर्वक कार्य करना। जैसे : कांग्रेस ने बहुमत जुटाने की बहुत चेष्टा की।

9. उद्यम : कार्य के लिए तत्पर भाव होना। जैसे : तुम्हारा उद्यम कभी निष्फल नहीं जाएगा।

उद्योग : कार्य करने के लिए निर्मित वस्तु विशेष। जैसे : उसे जूट उद्योग में काफी सफलता मिली है।

10. ईर्ष्या : दूसरे की उन्नति देखकर मन ही मन जलना। जैसे : रोहित तुमसे ईर्ष्या रखता है।

द्वेष : सकारण शत्रुता का भाव। जैसे : दुर्योधन का द्वेष ही कौरवों के नाश का कारण बना।

11. उत्साह : आनंदयुक्त भाव जो मन को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे : उत्साह सफलता का द्योतक है।

साहस : दुःख मिलने पर सहन करने की क्षमता। जैसे : उसने कुकर्मी को पकड़ने का साहस किया।

12. आमंत्रण : किसी शोभावसर पर सम्मिलित होने की प्रार्थना। जैसे : कवि सम्मेलन में आप सादर आमंत्रित हैं।

निमंत्रण : भोजनादि के अवसर पर बुलाना। जैसे : आज तुम्हारे प्रीतिभोज का निमंत्रण मिला।

13. लज्जा : एक वाँछनीय स्वाभाविक गुण। जैसे : लज्जा नारी का आभूषण है।

संकोच : किसी कार्य के करने में हिचक। जैसे : बंधु ! पुस्तक माँगने में संकोच मत करो।

14. तृप्ति : यथेष्ट प्राप्ति पर इच्छा पूर्ण हो जाना। जैसे : इस पद पर पहुँचकर मेरी तृप्ति हो चुकी है।

संतोष : जितना प्राप्त हो उससे अधिक न चाहते हुए उसी में प्रसन्न रहना। जैसे : मैं अपने कार्य से संतुष्ट हूँ।

15. मंत्रणा : गुप्त रूप से परामर्श आदि करना। जैसे : शासन संभालने के लिए पार्टियों में मंत्रणा चल रही है।

परामर्श : किसी विषय पर विचार-विमर्श कर राय देना। जैसे : मैंने सोमेश को आगरा जाने का परामर्श दिया।

16. निर्बल : जिसमें उपयुक्त शक्ति की कमी हो। जैसे : निर्बल को कभी मत सताओ।

दुर्बल : जिसमें रोगादि के कारण शक्ति की कमी हो। जैसे : लंबी बीमारी ने उसे दुर्बल कर दिया है।

17. शंका : संदेह। जैसे : तुम्हारी शंका निर्मूल नहीं है।

आशंका : भविष्य में होने वाले अमंगल की संभावना। जैसे : वर्तमान सरकार के गिरने की आशंका बनी हुई है।

18. शत्रु : प्राण तक लेने की इच्छा रखने वाला। जैसे : अहमद तुम्हारा शत्रु है, बचकर रहना।

विरोधी : किसी विषय को लेकर विवाद रखने वाला। जैसे : वह हमेशा मेरा विरोधी रहा है।