एक विशाल काँच के महल में एक भटका हुआ कुत्ता घुस आया। हज़ारों काँच के टुकड़ों में अपनी शक्ल देख कर वह चौंक गया। उसने जिधर नज़र डाली, उधर ही उसे हज़ारों कुत्ते दिखाई दिए। उसे लगा कि यह सब उसे मार डालेंगे।
अपनी शान दिखाने के लिए वह भौंकने लगा। उसे सभी कुत्ते भौंकते हुए दिखाई पड़े। उसकी आवाज़ की ही प्रतिध्वनि उसके कानों में ज़ोर-ज़ोर से आती। उसका दिल धड़कने लगा। वह और ज़ोर से भौंका। सब कुत्ते भी अधिक ज़ोर से भौंकते दिखाई दिए।
आख़िर वह उन कुत्तों पर झपटा, वे भी उस पर झपटे। बेचारा ज़ोर-ज़ोर से उछला, कूदा, भौंका और चिल्लाया। अंत में वह गश खाकर गिर पड़ा।
कुछ देर बाद उसी महल में एक दूसरा कुत्ता आया। उसे भी हज़ारों कुत्ते दिखाई दिए। वह डरा नहीं, अपने अच्छे स्वभाव के कारण प्यार से उसने अपनी दुम हिलाने लगा। फिर उसे सभी कुत्तों की दुम हिलती दिखाई दी।
वह खूब खुश हुआ और कुत्तों की ओर अपनी पूंछ हिलाता हुआ आगे बढ़ा। बाकी के कुत्ते भी अपनी दुम हिलाते हुए आगे बढ़े। वह प्रसन्नता से उछला-कूदा, अपनी ही छाया से खेलता हुआ खुश हुआ और फिर अपनी पूंछ हिलाता हुआ बाहर चला गया।
यह दुनिया भी इस काँच के महल जैसी है। अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है। “आप भले तो जग भला”, “आप बुरे तो जग बुरा”। अगर आप प्रसन्नचित्त रहते हैं, दूसरों के दोषों को न देखकर उनके गुणों की ही ओर ध्यान देते हैं तो दुनिया भी आपसे नम्रता और प्रेम का बर्ताव करेगी। अगर आप हमेशा लोगों के ऐबों की ओर देखते हैं, उन्हें अपना शत्रु समझते हैं और उनकी ओर भौंका करते हैं तो फिर वे भी आपकी तरफ गुस्से से दौड़ेंगे।
इस संसार में भले-बुरे सभी तरह के लोग निवास करते हैं। कौन-सा व्यक्ति भला है और कौन-सा बुरा–इसकी पहचान उसके आचरण से होती है। जिस व्यक्ति का आचरण अच्छा होता है, दुनिया उसका आदर करती है, उसे सिर आँखों पर बिठाकर रखती है। अतः अपने आचरण को उन्नत बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।