आधुनिक मानक भाषा अथवा परिनिष्ठत हिंदी
भाषा क्षेत्र की मानक भाषा का आधार, यद्यपि कोई बोली अथवा उपभाषा ही होती है; किंतु कालांतर में क्षेत्रीय रूप एवं मानक भाषा के स्वरूप में भी पर्याप्त अंतर आ जाता है। इसका कारण यह है कि इस मानक भाषा का प्रयोग उस ‘भाषा क्षेत्र’ के प्रत्येक क्षेत्र के शिष्ट व्यक्ति करने लगते हैं। संपूर्ण क्षेत्र के शिष्ट एवं शिक्षित व्यक्तियों द्वारा औपचारिक अवसरों पर व्यवहृत होने के कारण इसके स्वरूप में स्वाभाविक रूप से अंतर आ जाता है। हिंदी क्षेत्र की आधुनिक मानक भाषा का विकास हिंदी भाषा की खड़ी बोली के आधार पर हुआ है। मानक भाषा को ही ‘भाषा’ समझने की भ्रांतधारणा के कारण बहुत से विद्वान हिंदी के मानक रूप अथवा खड़ी बोली के आधार पर मानक रूप का विकास होने के कारण ‘खड़ी बोली’ को ‘हिंदी भाषा’ समझने की भूल करते रहे हैं। ‘हिंदी भाषा’ का वैज्ञानिक अर्थ संपूर्ण हिंदी भाषा क्षेत्र में व्यवहृत समस्त भाषायी समूहों से है। बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश – ये समस्त राज्य हिंदी भाषी राज्य हैं तथा यह संपूर्ण क्षेत्र हिंदी भाषी क्षेत्र है। इसमें अपवाद स्वरूप ‘कहीं-कहीं’ अन्य भाषाओं की बोलियों के ‘भाषा द्वीय’ अवश्य हैं। ‘खड़ी बोली’ हिंदी भाषा के पश्चिमी हिंदी क्षेत्र के एक भूभाग की उपभाषा होते हुए भी यह आधुनिक मानक भाषा का मूलाधार अवश्य है, पर मानक भाषा नहीं। ‘खड़ी बोली’ क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति जो कुछ बोलते हैं, वह खड़ी बोली है; किंतु हिंदी की शिक्षा प्राप्त व्यक्ति औपचारिक अवसरों पर जिस मानक भाषा का प्रयोग करते हैं, वह परिनिष्ठित हिंदी है। इसका यह रूप संपूर्ण भारतवर्ष की संपर्क भाषा के रूप में भी व्यवहृत है इससे स्पष्ट हो जाता है कि ‘मानक भाषा’ भाषा नहीं है, अपितु भाषा का एक विशिष्ट प्रकार्यात्मक स्तर रूप है।