अपठित गद्यांश : प्रदूषण


दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :


कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी. वी., अखबार आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने में मौजूद इस स्थिति को उपभोक्तावाद कहते हैं। उपभोक्तावाद के विस्फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्योंकि इसने पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्तावाद, अति उपभोग, बेहिसाब कचरा, उत्पादन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। इन जीवाश्म ईंधनों में बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है, जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके लिए नई सदी में पश्चिमी विकसित जगत अपने भविष्य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्प खोज रहा है। साइकिल रिक्शा एक ऐसा ही विकल्प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। भारत में साइकिल रिक्शे का आगमन पिछली 20वीं सदी के पाँचवें दशक के शुरुआती दौर में हुआ। इससे पहले लकड़ी के पहिये वाले और श्रमसाध्य हाथ से खींचने वाले रिक्शा चलते थे।


(क) बिना ज़रूरत चीजों को खरीदने एवम् इकट्ठा करने की आदत का क्या कारण है?

(i) आवश्यकता पूर्ति

(ii) टी.वी., अखबार आदि में विज्ञापन

(iii) घर में सामान की कमी

(iv) परिश्रम न करना

(ख) बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण किसने पैदा किया है?

(i) कचरा उत्पादन ने

(ii) साइकिल रिक्शा ने

(iii) जीवाश्म ईंधनों ने

(iv) बहती नदी ने

(ग) उपभोक्तावाद किसे कहते हैं?

(घ) भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का लोकप्रिय साधन क्या है?

(ङ) पश्चिमी जगत किस कारण से विकासशील देशों की तरफ़ मुड़ रहा है?