अनुच्छेद लेखन : विज्ञान के आधुनिक चमत्कार
विज्ञान के आधुनिक चमत्कार
विशिष्ट रीति से जो ज्ञान पाया जाता है, उसे विज्ञान कहा जाता है। आज की इस भौतिकवादी दुनिया ने विज्ञान द्वारा संसार का ढाँचा ही बदल दिया है। सभी राष्ट्र औद्योगिक क्रान्ति की ओर अग्रसर हैं। उनके इस विकासशील रूप को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आज का युग यन्त्र का युग है। जिधर देखो गगनचुम्बी चिमनियाँ, बड़े-बड़े कल-कारखाने, पृथ्वी को सुशोभित कर, राष्ट्र की समृद्धि का गुणगान कर रहे हैं। विज्ञान के चमत्कार आश्चर्यजनक हैं। यातायात, संचार के नये-नये साधन, बड़े-बड़े कल-कारखानों में नाना वस्तुओं का मशीनों से निर्माण, कृषि के क्षेत्र में क्रान्ति, मानव स्वास्थ्य और आयु वृद्धि के उपायों की खोज, फोटोग्राफी, सिनेमा आदि के द्वारा कला और मनोरंजन के साधनों का विकास, टी.वी., कम्प्यूटर, इंटरनेट, अन्तरिक्ष में मानव यात्रा, परमाणु शक्ति का मानव-कल्याण में उपयोग आदि विज्ञान की नाना उपलब्धियों ने धरती पर जैसे स्वर्ग ही उतार दिया है। विज्ञान ने मानव को अनेकानेक लाभ पहुँचाकर उसका अनन्त उपकार किया है। यन्त्रों के विकास के कारण मनुष्य के समय और श्रम की बहुत बचत हो गयी है। इनका उपयोग अब वह जीवन को और अधिक सुखमय बनाने के लिए कर सकता है। धरती की भौगोलिक दूरियाँ मिट जाने से विश्व-बन्धुत्व की भावना को बल मिला है। एक देश की घटना दूसरे देश को तुरन्त प्रभावित करती है। किसी देश में भयंकर तबाही होने से अनेक राष्ट्रों से तुरंत सहायता पहुँचने लगती है।
विज्ञान ने हमें भयंकर रोगों से मुक्ति दिलाई है। बाढ़, अकाल, महामारी आदि पर नियन्त्रण करके लाखों मनुष्यों को प्रकृति के प्रकोप का शिकार होने से बचा लिया जाता है। विज्ञान ने हमें अनेक भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं। इनकी गणना कर पाना असम्भव है। वैभव और विलास की अनन्त सामग्री जुटाकर विज्ञान ने धरती पर स्वर्ग ला दिया है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथों में असीम शक्ति भर दी है। ज्ञान के नये-नये क्षितिज खोल दिये हैं। उसने भूखे को रोटी और नंगे को वस्त्र दिये हैं। अन्धे को आँखें दी हैं, लंगड़े को पर्वत लाँघने की शक्ति दी है। वह निर्धन का धन व निर्बल का बल है। उसकी कृपा से ‘मूक होंहि वाचाल, पंगु चढ़हिं गिरिवर गहन।’ की उक्ति सार्थक हुई है।