अनुच्छेद लेखन : त्योहारों का जीवन में महत्त्व


त्योहारों का जीवन में महत्त्व


त्योहार किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के मुखर अंग, स्वरूप एवं प्रतीक हुआ करते हैं। उनसे यह जाना जाता है कि कोई राष्ट्र, वहाँ रहने वाली जातियों, उनकी सभ्यता और संस्कृति कितनी अपनत्वपूर्ण, कितनी ऊर्जास्थित, जीवंत और प्राणवान है। त्योहारों के माध्यम से कोई जाति अथवा राष्ट्र अपने सामूहिक आनंद-भाव को भी उजागर किया करते हैं। एक ही दिन, एक ही समय, लगभग एक समान ढंग से मनाए जाने वाले त्योहारों का प्रभाव भी सम्मिलित ही दीख पड़ता है। इस कारण त्योहारों को सामूहिक स्तर पर की गई आनंदोत्साह की अभिव्यक्ति ही माना जाता है। त्योहारों का महत्त्व अन्य कई युक्तियों से भी समझा एवं देखा जा सकता है। ऐसे अवसर पर ये घर-परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों को समीप आने, मिल-बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद को साँझा बनाने के सुयोग भी प्रदान किया करते हैं। इतना ही नहीं त्योहार कई बार जाति-धर्म या वर्गगत अलगाव की भावनाओं को भी समाप्त कर देने वाले प्रमाणिक हुआ करते हैं। त्योहार व्यक्तियों को परस्पर समझने-बूझने का अवसर तो देते ही हैं, भावना के स्तर पर परस्पर जुड़ने या एक होने का संयोग भी जुटा दिया करते हैं। प्रत्येक त्योहार अपने भीतर कई प्रकार के आदर्श, मान एवं मूल्य भी संजोए रखता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि त्योहार और पर्व अपने मनाने वालों को उस धरती की सोंधी-सुगंधी के साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया करते हैं कि जिस पर उन्हें धूमधाम से मनाया जाता है।