अनुच्छेद लेखन : चाँदनी रात का वर्णन


चाँदनी रात का वर्णन


चाँदनी रात – पूर्णिमा की रात्रि कितनी सुहावनी होती है। संपूर्ण जगत कांति से आलोकित हो रहा है। गगन-मंडल में भी शुभ्रता छाई हुई है। तारों की जगमगाहट उस शुभ्र ज्योत्सना में लुप्त हो गई है। चाँदनी का यह विस्तार क्षीरसागर जैसा प्रतीत हो रहा है और उसके मध्य विराजमान चंद्र एक खिले हुए श्वेत कमल के समान दिखाई दे रहा है। नद-नदियों, सर-सरोवरों, झरनों और समुद्र के जल में चाँदनी रात का दृश्य अत्यंत विलक्षण और आकर्षक होता है। जल की स्वच्छ नीलिमा से चंद्रमा की परछाई हिलोरे ले रही है। तट पर खड़े वृक्षों पर चंद्रमा की चाँदनी की छटा अत्यंत शोभायमान है। उपवन में खिले फूल अपनी सुगंध से वातावरण को अत्यधिक मादक बना देते हैं। ज़रा चाँदनी रात का आनंद ताजमहल के परिसर में भी लीजिए। शुभ्र संगमरमर से निर्मित यह भव्य-भवन उज्ज्वल चाँदनी में जगमग जगमग करता हुआ बहुत ही सुंदर लगता है। चाँदनी रात में नौका-विहार करना अत्यंत आनंदप्रद होता है। नदी तट का शांत और शीतल वातावरण मन में अपूर्व आनंद उत्पन्न करता है। जल में प्रतिबिंबित होते हुए तारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वे (तारे) पानी के अंदर कुछ ढूँढ़ रहे हैं। तप हरण करने वाली, सहृदयों के हृदय को प्रफुल्लित करने वाली, शुभ्र ज्योत्सना से जगमगाती हुई रात्रि का वर्णन जितना भी किया जाए, कम है।