अनुच्छेद लेखन : कल्पना चावला


कल्पना चावला


कल्पना चावला उन सुपुत्रियों में से एक है जिन पर भारतवासियों को गर्व है। कल्पना चावला का केवल एक ही स्वप्न था कि वह अंतरिक्ष पर जाकर वहाँ से अपने देश भारत को देखे। उन्होंने अपना यह सपना पूरा किया। सितारों के बीच पहुँची कल्पना चावला स्वयं एक ऐसा सितारा बन गईं जो तब तक चमकता रहेगा जब तक धरती पर जीवन है। बचपन से ही कल्पना हवाई जहाज के मॉडल बनाया करती थीं। अंतरिक्ष पर जाने की अपनी इच्छा को उसने पूरी लग्न के साथ पूरा किया। वैमानिक इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर एम०एस०सी० की शिक्षा प्राप्त करने अमरीका के टैक्सास विश्वविद्यालय में पहुँची कल्पना चावला ने अमरीका के नागरिक ज्यां पियरे हैरिस से विवाह किया, जो स्वयं भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। अपने पति से प्रेरणा पाकर वे 1994 में नासा से जुड़ गईं। 19 नवंबर, 1997 में अंतरिक्ष की सफल उड़ान भरकर लौटी कल्पना चावला का सभी ने स्वागत किया। दूसरी बार कल्पना चावला का चुनाव कोलंबिया की उड़ान एस०टी०एस०-107 के लिए हुआ। वे इस यान के साथ 760 घंटे अंतरिक्ष में रही थीं। पृथ्वी के 252 चक्कर उन्होंने काटे। 16 दिन तक सितारों की दुनिया को रोशन करने बाद जब 1 फरवरी, 2003 को वे पृथ्वी पर वापस लौट रही थीं तो कोलंबिया दुर्घटना ग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में कल्पना चावला अपने छह अन्य साथियों के साथ इस संसार से हमेशा-हमेशा के लिए विदा हो गईं। यह वह क्षण था, जब वे अपना नाम दुनिया के अमर लोगों में लिखा गईं। अमरीका में जीने वाली कल्पना चावला को अपना देश भारत अत्यंत प्रिय था। दिल्ली के पास स्थित करनाल नगर में पली-बड़ी कल्पना चावला को अपने जन्म- स्थान से विशेष लगाव था। वे जब भी संभव होता तब अपने लोगों के बीच आकर समय बिताना पसंद करती थीं। कल्पना चावला जीवन में संघर्ष को महत्त्व देती थीं। चुनौतियों को स्वीकारने वाला व्यक्ति ही सदैव प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है, ऐसा उनका विश्वास था। केवल मंज़िल को महत्त्व न देकर वे उस तक पहुँचने वाली राह को भी महत्त्वपूर्ण मानती थीं। आत्मविश्वास तथा दृढ़-संकल्प से भरी कल्पना चावला आज प्रत्येक भारतीय के दिल में अपना विशेष स्थान रखती हैं।