अनुच्छेद लेखन : कलम और तलवार


कलम और तलवार


कलम और तलवार की महान शक्ति से कौन अपरिचित है? दोनों में एक ऐसी तीखी धार है, जिसको सभी जानते हैं। आज के इस ‘एटम’ युग में भी इनके कार्य प्रशंसा पाते हैं। ऊपरी दृष्टि से देखा जाए तो दोनों में से तलवार ही अधिक शक्तिशाली प्रतीत होती है, किंतु दोनों की तुलना करने पर ही इनकी वास्तविकता का सच्चा ज्ञान हो सकता है। तलवार की प्रसिद्धि उसकी संहारक शक्ति के कारण है, तो कलम अपने प्रभावोत्पादकता के गुण के कारण लोगों के दिलों पर राज करती है। जहाँ तलवार बड़े-बड़े विशाल साम्राज्यों को जीतने की क्षमता रखती है, वहीं कलम में भी ऐसी अद्भुत शक्ति विद्यमान है, जिसने बड़े- बड़े संगदिल राजाओं को मोम दिल का बना दिया। राष्ट्र के झंडे को ऊँचा-नीचा करने वाली यह दोनों शक्तियाँ वैसे तो प्रशंसा की अधिकारिणी हैं, पर यह तो कहना ही पड़ेगा कि लेखनी योद्धा ‘लेखक’ तलवार के धनी ‘सिपाही’ से अधिक मान पाता है। लेखक विद्वान होता है और विद्वान ‘सर्वत्रपूज्यते’ हैं। एक लेखक का शस्त्र है उसकी कलम और उसका युद्ध स्थल केवल उसके साहित्य का मैदान ही होता है, जहाँ वह रक्त के स्थान पर स्याही का प्रयोग करता है और विजय की पताका सर्वदा लहराता है। इसके विपरीत एक सिपाही अपने अस्त्र ‘तलवार’ को लेकर युद्ध क्षेत्र में खून की नदियाँ बहाता है और विजय प्राप्त करता है। कहते हैं-‘तलवार केवल काट ही सकती है, पर कलम काटकर जोड़ भी सकती है।’ तलवार केवल क्रोध और रोष का विष पिलाकर मनुष्य की प्यास को शांत करती है, जबकि कलम प्रेम और सहानुभूति का अमृत पिलाकर हृदय पर शांति का साम्राज्य फैला देती है। तलवार को उठाने वाला सर्वदा नाश की ओर बढ़ता है, जबकि कलम को उठाने वाला सत्यता के अमर पथ पर अग्रसर होता है। यही कारण है कि कलम की महत्ता तलवार से कहीं अधिक है।