अनुच्छेद लेखन : आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास मानव-चरित्र का मौलिक गुण तथा उसके जीवन-पथ का प्रबल संबल है। यह गुण मनुष्य को घर-परिवार व समाज के संस्कार से मिलता है तथा शिक्षण अभ्यास से यह विकसित होता है। जो आत्मविश्वास का अलख जगाकर जीवन के मार्ग पर आगे बढ़ता है, उसके समक्ष आपदाओं के पर्वत ढह जाते हैं और मंज़िल सदा उसकी प्रतीक्षा करती रहती है। जिसके पास आत्मविश्वास का बल है, वह पराजय के क्षणों में भी विचलित नहीं होता, बल्कि नए संकल्प, नए उत्साह से आगे बढ़कर अंततः विजय प्राप्त करता है। वस्तुतः आत्मविश्वास के अंकुर से प्रयत्न का पौधा उगता है और प्रयत्न के लहलहाते पौधे पर ही सफलता के मधुर फल लगते हैं। आत्मविश्वास मनुष्य को कठिन क्षणों में मुश्किलों और परेशानियों से जूझना सिखाता है। आत्मविश्वास मनुष्य के भीतर छिपी उस अपार शक्ति को बाहर निकालने में सहायक होता है जिसके बारे में व्यक्ति स्वयं नहीं जानता। यह मनुष्य के भीतर संघर्ष की भावना भरता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों पर हावी होने की क्षमता का विकास करता है। आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति जीवन की कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करता है और बिना रुके आगे बढ़ते चले जाने की भावना का विकास करता है। किसी ने ठीक कहा है :
‘मुर्दा वह नहीं जो मर गया है, मुर्दा वह है जिसका आत्मविश्वास मर गया है।’