अनुशासन क्यों?
अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-अनु + शासन। अनु का अर्थ है- पीछे तथा शासन का अर्थ नियम। आदेश या नियम का अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है। अनुशासन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इससे एक निश्चित समय में, निश्चित क्रिया करके निर्धारित फल प्राप्त किया जा सकता है। लोकतंत्र में सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार है। आज के लोग अपने इस अधिकार का दुरुपयोग अनुशासनहीनता के लिए करते हैं। विद्यार्थी कक्षाओं का बहिष्कार करते हैं तथा आपराधिक व अनैतिक कृत्यों में लिप्त रहकर विद्यालय में अशांति फैलाते हैं। इस प्रकार की अनुशासनहीनता पर नियंत्रण के लिए अनुशासन की आवश्यकता है। यदि समय रहते इस अनुशासनहीनता पर नियंत्रण नहीं किया गया तो विद्यार्थियों का भविष्य अच्छा नहीं होगा। छात्रों की गुटबंदी न हो, उसके लिए अध्यापकों द्वारा नियमित अध्ययन कराना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल में शिक्षक-अभिभावक सम्मेलनों का आयोजन करना चाहिए। इस प्रकार से नियंत्रण करने पर विद्यार्थियों को अनुशासन में रखा जा सकता है। इस अनुशासन का प्रभाव पूरी सामाजिक व्यवस्था पर पड़ता है। अतः हमें हमेशा सजग रहना चाहिए। इसलिए हमें इसके लिए सतत् प्रयत्नशील रहना चाहिए जिससे हम विद्यार्थियों को सही दिशा दे सकें जो भावी राष्ट्र का सपना है।