अज्ञानता की भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

एक बार एक राजा जंगल में शिकार के लिए गया। उसे लौटने में देर हो गई तो वह जंगल में ही एक लकड़हारे की कुटिया में रुक गए, जो जंगल से लकड़ी काटकर, उनका कोयला बनाकर बेचता था।


लकड़हारे ने राजा की आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी। अगली सुबह राजा ने लकड़हारे की खातिरदारी से खुश हो कर लकड़हारे को चंदन का बाग उपहार में दे दिया।

परन्तु लकड़हारे को यह बात पता नहीं थी कि उसे इतनी कीमती लकड़ी का बाग उपहार स्वरूप मिला है। अपनी आदत के मुताबिक वह लकड़हारा चंदन की लकड़ियां काटकर भी कोयला बनाने लगा और बाजार में बेचने लगा।

ऐसा कई साल तक होता रहा और बाग में कुछ ही पेड़ बचे थे। फिर एक दिन बारिश होने लगी और लकड़हारा कोयला नहीं बना पाया।

वह ऐसे ही बिना जली चंदन की लकड़ियां लेकर बाजार में बेचने चला गया। चंदन की खुशबू के कारण उसके पास कई ग्राहक आने लगे और उसे एक – एक टहनी की 100 गुणा कीमत देने के लिए तैयार हो गए।

लकड़हारा यह सब देखकर हैरान रह गया। उसने एक आदमी से इसका कारण पूछा। उस आदमी ने उसे बताया कि यह साधारण लकड़ी नहीं है, अपितु सबसे कीमती चंदन की लकड़ी है।

तब उसे अहसास हुआ कि उसने अपनी अज्ञानतावश अपना कितना नुक्सान करवा लिया है।

अगर वह उस खुशबू को महसूस करता और अपनी आदत से मजबूर हो कर चंदन की लकड़ी को नहीं जलाता और उसे भी कोयला ही नहीं समझता तो वह अपनी गरीबी से मुक्ति पा सकता था।

शिक्षा – अपनी अज्ञानता की वजह से कई बार भारी कीमत चुकानी पड़ती है।